जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में चुने हुए प्रतिनिधियों की व्यवस्था है, लेकिन मनोनीत प्रतिनिधि को शामिल करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। इसके लिए राज्य सरकार को विश्वास में लेकर कानूनी प्रावधान करना होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक बार फैसला हो जाने के बाद कानूनी बाधाओं को दूर करने पर काम शुरू हो जाएगा। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गुलाम कश्मीर के मनोनीत सदस्यों के साथ सरकार लोकसभा में गुलाम कश्मीर के लिए विशेष सीट की व्यवस्था कर सकती है। सरकार में अंदरूनी स्तर पर कई वर्षो से इस पर विचार भी किया जा रहा था, लेकिन पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारने की उम्मीद में इस पर कभी अमल नहीं किया गया। संप्रग सरकार के दौरान 2013 में संयुक्त सचिव का एक नोट लीक हो गया था, जिसमें लोकसभा में गुलाम कश्मीर के लिए पांच सीटें आरक्षित करने के लिए संविधान संशोधन का जिक्र था लेकिन इसे तत्काल दबा दिया गया। नोट में कहा गया था कि विधानसभा में 24 सीटों के हिसाब से कम से कम पांच सीटें लोकसभा में गुलाम कश्मीर के लिए होनी चाहिए। भले ही इन्हें विधानसभा की तरह खाली रखा जाए। लोकसभा में गुलाम कश्मीर के लिए फिलहाल एक भी सीट नहीं है। राजग सरकार बनने के बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने नवंबर 2014 में इसी आशय का निजी विधेयक पेश करने की कोशिश की थी लेकिन संसदीय समिति ने इसकी इजाजत नहीं दी। सरकार अब नए सिरे से इसे आगे बढ़ाकर संसद में भी गुलाम कश्मीर के लोगों के प्रतिनिधित्व की व्यवस्था कर सकती है।