दैनिक जागरण अखबार में छपी खबर के मुताबिक जमात-ए-इस्लामी को इसका आभास हुआ तो उसके सदस्य किनारा कर गए। नेक इरादे से जुड़े तमाम दूसरे लोग भी सिमी से अलग हो गए। महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में बम धमाके हुए। आगरा में सिनेमाघर और बस में हुए बम धमाकों में भी सिमी के हाथ की पुष्टि हुई। केंद्र सरकार ने 2002 में आतंकी संगठन घोषित करते हुए सिमी की गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी। कार्यालय भी सील कर दिया। एक दिन के लिए राहत भी मिली, लेकिन अगस्त 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने फिर प्रतिबंध लगा दिया। यह अभी तक बरकरार है। इंडियन मुजाहिदीन को अब सिमी का ही नया रूप माना जाता है। सिमी पर पाबंदी के बाद संस्थापक अध्यक्ष अहमदउल्ला सिद्दीकी अमेरिका चले गए। वे वहां प्रोफेसर हैं।
एएमयू के इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब भी कह चुके हैं कि सिमी ने एएमयू में घुसपैठ की भरपूर कोशिश की थी पर कामयाब न हो सका था। सिमी से जुड़े कुछ छात्रों को एएमयू स्टूडेंट यूनियन के चुनाव में भी उतारा गया था, पर वे जीत नहीं सके। सिमी ने 1999 में एएमयू के गुलिस्तान-ए-सैयद पार्क में राष्ट्रीय स्तर की सेमिनार की थी। कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी भी आए थे। तब, आइएएस अफसर महमूद उर रहमान एएमयू के कुलपति थे।