भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप से पाकिस्तान बाज नहीं आ रहा है। हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर को लेकर पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस्लामाबाद में कई प्रमुख देशों के राजदूतों के साथ बातचीत की। पड़ोसी देश की इस हरकत पर भारत ने ऐतराज जताया है और पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों से दूर रहने की कड़ी चेतावनी दी है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि भारत को आतंकवाद का महिमामंडन मंजूर नहीं है। पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की आगे और कोशिश से बाज आना चाहिए। उन्होंने कहा कि आठ जुलाई को हिजबुल आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों ने सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका समेत यूरोपीय संघ, इस्लामिक सहयोग संगठन और आसियान देशों के राजदूतों से बातचीत की. ऐसा करके पाकिस्तान भारत के आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है।
जम्मू-कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग
विदेश मंत्री ने बताया, ‘पाक ने आठ जुलाई से जम्मू-कश्मीर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान भारतीय प्राधिकारियों पर मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाया है। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। भारत पाकिस्तान की इस तरह की कार्रवाई को पूरी तरह से खारिज करता है।’
‘पाक का मुकाबला करने के लिए अन्य देशों से की बात’
सुषमा ने बताया, ‘सरकार ने दुष्प्रचार की पाकिस्तान की कोशिशों का मुकाबला करने के लिए अन्य देशों से बात की है’. उन्होंने कहा, ‘हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस बात पर जोर दिया है कि भारतीय सुरक्षाबलों ने अपनी ओर से असाधारण संयम बरता, जो जम्मू-कश्मीर में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान भीड़ के हमलों में तीन हजार 780 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों के घायल होने से स्पष्ट है. सरकार ने जोरदार तरीके से यह भी पक्ष रखा है कि जम्मू-कश्मीर के लोग भारतीय नागरिक हैं और सरकार को उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों का अहसास है.