नई दिल्ली। गर्मी के मौसम में भी महिलाओं को रूम टेम्परेचर कंट्रोल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जी हां, एक अध्ययन के मुताबिक, महिलाओं के शरीर का तापमान पुरुषों के शरीर से कम होता है। एक महिला के शरीर में ऐसे अंदरूनी फंक्शन्स होते हैं, जिनके द्वारा शरीर के तापमान को एक स्थान पर केन्द्रित किया जाता है। इसमें शरीर के बाह्य अंग (जैसे उंगलियां) तापमान का निर्धारण करती हैं। मगर अच्छी बात ये है कि महिलाओं के पास कई ऐसी अन्य चीजें भी होती हैं, जिनसे वे खुद को ठंड महसूस करने से रोक सकती हैं।
अध्ययन के मुताबिक, महिलाओं के शरीर का मुख्य तापमान ज्यादा होता है, क्योंकि उनमें वसा (बॉडी फैट) अधिक होती है। वसा की बहुलता शरीर में गर्मी बनाए रखने में सहायक होती है। दूसरी तरफ पुरुषों में ज्यादा मांसपेशियां होती हैं, जिनकी वजह से शरीर की गर्मी जल्दी से फैल पाती है, इसलिए उनका शरीर शीघ्र ठंडा हो जाता है। उनका मेटाबोलिक रेट भी अधिक होता है।
मेटाबोलिक वह प्रक्रिया है, जिसके तहत खाना शरीर में पचता है और सांस लेने की, ब्लड सर्कुलेशन की और कोशिकाओं के विकास के लिए ऊर्जा उत्पन्न होती है। ऐसी महिलाएं, जिनका ज्यादातर समय ऑफिस में बैठे-बैठे ही बीतता है, उनकी मेटाबोलिक रेट मर्दों से 35 फीसदी कम होती है। इसका मतलब ये है कि उनका शरीर कम गर्मी उत्पन्न करता है, इसी वजह से उनका शरीर अंदर से अपेक्षाकृत ज्यादा ठंडा होता है।
स्कर्ट और ठंड का आपस में संबंध है। वर्क कल्चर में स्कर्ट को एक अच्छी ड्रेस माना जाता है, लेकिन औरतों को ये ठंड से बचा नहीं पाती, जबकि उनके पुरुष सहकर्मी पूरे कपड़ों में एसी का सामना कर लेते हैं। औरतें शुरू से सोने के प्रति ज्यादा सजग नहीं रहतीं। रिसर्च से सामने आया है कि दो-तिहाई महिलाओं में इनसोम्निया की बीमारी पाई जाती है, लेकिन अगर आपकी पिछली रात की नींद पूरी नहीं हुई है, तो अगले दिन आप ठंड ज्यादा महसूस करेंगे। महिलाओं के अधिक ठंड के प्रति संवेदनशील होने का ये भी एक कारण है।