सरकार के सख्त तेवर, जाकिर नाईक की ‘बोलती’ बंद करने की तैयारी पूरी

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जाकिर की बोलती बंद
नई दिल्ली : सरकार ने विवादास्पद मुस्लिम धर्मोपदेशक जाकिर नाईक की ‘बोलती’ बंद करने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके तहत भारत में न सिर्फ उसके वेबसाइट का यूआरएल ब्लाक कर दिया गया है, बल्कि उसका भोंपू बने पीस टीवी दिखाने वाले केवल ऑपरेटरों का सामान जब्त करने सहित कड़े कदम उठाने की चेतावनी भी दी गई है। इसी क्रम में जाकिर की मुंबई स्थित संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आइआरएफ) की विदेशी फंडिंग की जांच के भी आदेश दे दिए गए हैं। आइआरएफ के फंड का इस्तेमाल धर्म परिवर्तन और युवाओं को आतंकवाद के प्रति आकर्षित करने की शिकायत के बाद सरकार ने ये सख्त कदम उठाए हैं।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘जाकिर की तकरीरों का हमने संज्ञान में लिया है। जांच के निर्देश दे दिए हैं।’1आतंकी संलिप्तता को देखते हुए विवादित धर्म प्रचारक के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सरकार ही नहीं बल्कि आम लोग भी सक्रिय हो गए हैं। गृहमंत्रलय को एक ऑनलाइन ज्ञापन सौंपा गया है, जिस पर आठ लाख से अधिक लोगों ने दस्तखत किए हैं। इसमें जाकिर और उसकी संस्था के आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े होने के कई सुबूत दिए गए हैं। इनको लेकर गंभीर गृह मंत्रालय ने आइआरएफ को मिले विदेशी चंदे की जांच भी शुरू कर दी है।

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एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यदि विदेशी अनुदान के दुरुपयोग के आरोप साबित हुए तो संस्था को मिला एफसीआरए लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है। दूसरी ओर एजेंसियां जाकिर के भाषणों की सीडी की जांच में जुट गई हैं। देखा जा रहा है कि इनमें जाकिर नाइक प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर आतंकवाद का समर्थन करता है या नहीं।

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इसी क्रम में सूचना प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में पीस टीवी को लेकर सख्त फैसला लिया गया। गौरतलब है कि पीस टीवी को भारत में दिखाने का लाइसेंस नहीं है, इसके बावजूद कई केवल आपरेटर इसे दिखा रहे थे। बैठक के बाद राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने साफ कर दिया कि बिना लाइसेंस वाले चैनल दिखाने वाले केवल ऑपरेटरों का सामान जब्त कर लिया जाएगा। सभी जिलों के डीएम को कहा गया है कि जिन चैनलों का लाइसेंस नहीं है, उनका प्रसारण रोकें। पीस टीवी दिखाने वाला यूआरएल भी ब्लॉक किया जाएगा।

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नाइक के खिलाफ़ ये है सबूत-
गृहमंत्रालय को सौपे आनलाइन ग्यापन में जाकिर और उसकी संस्था के आतंकी गतिविधियों से जुड़े होने के कई सबूत दिए गए हैं.. इनमें 2006 में मुंबई के सीरियल धमाकों के आरोपी राहेल शेख और जैबुद्दीन अंसानी के डोंगरी इलाके में इस्लामिक रिसर्च फ़ाउंडेशन के दफ़्तर में मिलने की बात भी शामिल है… ग्यापन में आइआरएफ़ के लाइब्रेरियन के लश्कर की धमाके करने वाले सेल के अहम सदस्य होने की जांच करने की मांग की गई है..इसके अलावा मुंबई के सबसे भयानक हमले 26/11 के आरोपी डेविड हेडली के पास भी आइआरएफ़ के नंबर मिले थे .. हेडली लश्कर-ए-तय्यबा के लिए काम करता था