नई दिल्ली: जाकिर नाइक के धार्मिक भाषणों की अलोचना करना भले ही आसान हो,लेकिन कानूनी तौर पर जाकिर को हेट स्पीच का अपराधी साबित करना मुश्किल साबित हो सकता है।कानून के जानकारों के मुताबिक, जाकिर की तकरीरों को हेट स्पीच साबित करना, काफ़ी मुश्किल होगा।
हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में लोगों की धारणाओं और तथ्यों में साफ़ फ़र्क किया है।आईपीसीके सेक्शन 153ए अ और 295ए के तहत किसी भी साम्प्रादायिक सौहार्द को बिगड़ने के अरोपों के पुष्टि हार्ड फ़ैक्ट्स के आधार पर ही होती है। ढाका में आतंकी हमलों के बाद ऐसी बातें सामने आई थीं कि हमलावर जकिर नाइक के भाषणों से प्रभावित थे।
ऐसे में इस्लामिक उपदेश जाकिर के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग उठी है। महाराष्ट्र सरकार ने जाकिर नाइक के भाषणों के जांच के आदेश दिए हैं।जांच एजेंसियां जांच में जुटी हुई हैं।पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी का कहना है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच और कानून का पालन सबसे जरूरी है क्योंकि कुछ सीमाओं के साथ अपने धर्म को मानना और उसका प्रचार प्रसार करना भारत मेंमौलिक अधिकारों के तहत आता है।
महाराष्ट्र के पूर्व एडवोकेट जनरल एसजी एने ने इसकी व्याख्या करते हुए बताया कि अपने धर्म को दूसरों से बेहतर साबित करने में तब तक कोई रोक नहीं है जब तक दो धार्मिक समूहों के बीच कोई मतभेद पैदा होने की आशंका ना हो।हेट स्पीच के तहत जाकिर के खिलाफ़ कानूनी कार्यवाई करने के लिए जांच एजेंसियों को ये देखना होगा कि जाकिर के भाषण, दो धर्मों के बीच असंतोष पैद कर रहे हैं या नहीं।