भारतीय मूल की लगभग 1.56 करोड़ मतलब डेढ़ करोड़ जनसंख्या विदेशों में रहती है। ये डाटा एक अध्ययन में सामने आया है। प्यू रिसर्च के इस अध्ययन में कहा गया है कि वैश्विक जनसंख्या में 3.3 प्रतिशत लोग अंतरराष्ट्रीय प्रवासी हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस से पहले प्यू रिसर्च ने कहा कि वर्ष 2015 तक के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 35 लाख भारतीय संयुक्त अरब अमीरात में रहते थे। यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा आव्रजन गलियारा है। प्यू ने कहा कि मेक्सिको-अमेरिका गलियारे से इतर संयुक्त अरब अमीरात और पारस की खाड़ी के अन्य देशों में रहने वाले भारतीयों की संख्या पिछले दशक में पर्याप्त रूप से बढ़ी है। यह संख्या वर्ष 1990 में 20 लाख थी और वर्ष 2015 में बढ़कर 80 लाख से अधिक है।
प्यू ने कहा, “अधिकतर लोग तेल के धनी इन देशों में आर्थिक अवसरों के लिए गए हैं।’ फिलिप कोनोर द्वारा लिखी गई इस रिपोर्ट में कहा गया कि यदि दुनिया के सभी अंतरराष्ट्रीय प्रवासी एक ही देश में रहते तो वह विश्व का पांचवा सबसे बड़ा देश होता और उसमें लगभग 24.4 करोड़ लोग होते।” रिपोर्ट में कहा गया, “आज अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या विश्व की कुल जनसंख्या का 3.3 प्रतिशत है।” रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रवासियों के मूल देशों की सूची में भारत (1.56 करोड़) शीर्ष पर है। दूसरे स्थान पर मेक्सिको (1.23 करोड़), रूस (1.06 करोड़), चीन (95 लाख) और बांग्लादेश (72 लाख) हैं। अमेरिका में सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रवासी हैं।