जब ओमपुरी ने की थी एक ढाबे पर नौकरी

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ओमपुरी

बॉलीवुड में खलनायक और नायक के दमदार अभिनय से भारतीय सिनेमा जगत में अभिनेता ओमपुरी ने लगभग तीन दशक से दर्शकों को अपना दीवाना बनाया है। लेकिन कम लोगों को पता होगा कि वह अभिनेता नही बल्कि रेलवे ड्राइवर या फ़ौजी बनना चाहते थे। 18 अक्टूबर 1950 को हरियाणा के अंबाला में जन्में ओम पुरी का बचपन काफी कष्टों में बीता। परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें एक ढाबे में नौकरी तक करनी पडी थी।

1976 में पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ओमपुरी ने लगभग डेढ वर्ष तक एक स्टूडियो में अभिनय की शिक्षा भी दी। बाद में ओमपुरी ने अपने निजी थिएटर ग्रूप “मजमा” की स्थापना की।

ओमपुरी ने अपने सिने करियर की शुरूआत वर्ष 1976 में रिलीज फिल्म “घासीराम कोतवाल” से की। वर्ष 1980 में रिलीज फिल्म “आक्रोश” ओम पुरी के सिने करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई। गोविन्द निहलानी निर्देशित इस फिल्म में ओम पुरी ने एक ऐसे व्यक्ति का किरदार निभाया जिस पर पत्नी की हत्या का आरोप लगाया जाता है। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए ओमपुरी सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किए गए। फिल्म “अर्धसत्य” ओमपुरी के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में गिनी जाती है। फिल्म में ओमपुरी ने एक पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई थी। फिल्म में अपने विद्रोही तेवर के कारण ओमपुरी दर्शकों के बीच काफी सराहे गए। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए। अस्सी के दशक के आखिरी वषों में ओमपुरी ने व्यावसायिक सिनेमा की ओर भी अपना रूख कर लिया। हिंदी फिल्मों के अलावा ओमपुरी ने पंजाबी फिल्मों में भी अभिनय किया है। ओमपुरी ने अपने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 200 फिल्मों में अभिनय किया। उनके करियर की उल्लेखनीय फिल्मों में कुछ हैं “अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है”, “स्पर्श”, “कलयुग”, “विजेता”, “गांधी”, “मंडी”, “डिस्को डांसर”, “गिद्धद्व होली”, “पार्टी”, “मिर्च मसाला”, “कर्मयोद्धा”, “द्रोहकाल”, “कृष्णा”, “माचिस”, “घातक”, \’गुप्त”, “आस्था”, “चाची 420”, “चाइना गेट”, “पुकार”, “हेराफेरी”, “कुरूक्षेत्र”, “पिता”, “देव”, “युवा”, “हंगामा”, “मालामाल वीकली”, “सिंह इज किंग”, “बोलो राम” आदि।

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