राहुल गांधी के खिलाफ निजी मानहानि मामले की जांच नहीं कर सकती पुलिस: सुप्रीम कोर्ट

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Kolkata: Congress Vice President Rahul Gandhi addresses an election campaign rally in Kolkata on Thursday. PTI Photo by Ashok Bhaumik (PTI5_8_2014_000223B)

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राहुल गांधी के खि‍लाफ आपराधि‍क मानहानि मामले में निचली अदालत द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाए। कोर्ट ने पूछा कि मजिस्ट्रेट ने मामले की खुद जांच करने की बजाय पुलिस को जांच के लिए क्यों भेजा? सर्वोच्च अदालत ने कहा कि मानहानि के मामलों में पुलिस का कोई रोल नहीं है।

अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेट को खुद शिकायतकर्ता राजेश महादेव कुंटे द्वारा मुहैया करवाए गए सबूतों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए था। शिकायत को जांच के लिए पुलिस के पास नहीं भेजना चाहिए था, क्योंकि आपराधिक मानहानि से जुड़े मामले में पुलिस का कोई रोल नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘हमें लगता है कि मामले को दोबारा मजिस्ट्रेट के पास भेजा जाना चाहिए।’

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाल ही उनके द्वारा सुब्रमण्यम स्वामी के मामले में की गई टिप्पणि‍यों में भी यह बात साफ की जा चुकी है। धारा 499/500 के लिए प्रक्रिया को विस्तृत तौर पर समझाया जा चुका है। महारष्ट्र सरकार की तरफ से एडिशनल सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता के पेश होने पर राहुल गांधी के वकील कपिल सिब्बल ने नाराजगी जताई।

सिब्बल ने कहा कि आपराधिक मानहानि के एक प्राइवेट कंप्लेंट में सरकार कैसे पार्टी बन गई। मामले पर विस्तृत सुनवाई के लिए 23 अगस्त की तरीख तय की गई है।

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सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए कि इस मामले को तकनिकी आधार पर दोबारा से मजिस्ट्रेट के पास भेजा जा सकता है। भिवंडी, महाराष्ट्र के मजिस्ट्रेट ने इस मामले को जांच के लिए भेज दिया था और पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर मजिस्ट्रेट ने राहुल गांधी को समन जारी किया था। राहुल ने उसी समन के आदेश को चुनौती दी है। राहुल गांधी के वकील कपिल सिबल ने अदालत से गुहार लगाई कि 12 अगस्त के बाद इस मामले की तारीख रखी जाए, क्योंकि संसद सत्र 12 अगस्त तक है।

सुनवाई के दौरान कपिल की दलीलों को जस्टिस दीपक मिश्रा काफी तवज्जो दे रहे थे। दूसरी तरफ शिकायतकर्ता राजेश महादेव कुंटे की तरफ से वकील यूआर ललित पेश हुए। वो काफी उम्रदराज हैं। जस्टिस दीपक मिश्रा को यह नहीं पता था कि ललित, सुप्रीम कोर्ट के ही न्यायाधीश यूयू ललित के पिता हैं।

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सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा को जब जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने कान में धीरे से यह बताया तो जस्टिस मिश्रा ने कहा कि उनको ये बात पता नहीं थी और इसके बाद उनका अंदाज भी थोड़ा बदल गया। उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘अब मैं कपिल सिब्बल से कहता हूं कि वो बैठ जाएं और ललित साहब को बोलने दें।’