इशरत जहां मामले के जांच अधिकारी को सरकार ने दिया तोहफा

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इशरत जहां मामले की जांच करने वाले आधिकारी को सरकार ने एक नए पद पर नियुक्त कर दिया है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बी. के. प्रसाद को गुरूवार को सरकार ने दो वर्षों के लिए सचिव स्तर के एक पद पर नियुक्त किया है। प्रसाद एक गवाह को कथित तौर पर लिखाने-पढ़ाने से जुड़ी एक खबर के लिए आलोचना भी झेल चुके हैं।
प्रसाद को राष्ट्रीय गैर-अधिसूचित, खानाबदोश, अर्ध-खानाबदोश जनजाति आयोग का सचिव बनाया है। उनको इस वर्ष 31 मई को सेवानिवृत्त होना था लेकिन उन्हें दो महीने का सेवा विस्तार दिया गया था, जिसकी अवधि आगामी रविवार को समाप्त हो रही है। वह अभी गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने दो वर्ष के लिए इस पद पर उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी। देश में गैर-अधिसूचित, खानाबदोश और अर्ध-खानाबदोश लोगों के विकास से जुड़े विभिन्न पहलुओं के अध्ययन के लिए वर्ष 2005 में इस आयोग का गठन किया गया था। यह आयोग सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।
तमिलनाडु कैडर के 1983 बैच के आईएएस अधिकारी प्रसाद ने इशरत जहां के कथित फर्जी मुठभेड़ से जुड़े लापता दस्तावेजों के मामले में जांच के दौरान एक गवाह को सिखाने-पढ़ाने के आरोपों को यह कहते हुए नकार दिया कि उन्होंने निष्पक्ष जांच की और उन्होंने जिन अधिकारियों से पूछताछ की वे खुद से अपने जवाब देने में सक्षम थे।

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