यूपी की योगी सरकार ने स्टेट हाईवे अथॉरिटी में घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने की तैयारी कर ली है. योगी सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार को सिफारिश भेज दी है. पता चला है कि दिल्ली-सहारनपुर से यमुनोत्री तक एनएच-57 पर 206 किलोमीटर का हाईवे बनना था. लेकिन बिना हाईवे बनाये ही बैंक से 455 करोड़ रुपए निकाल लिए गए.
न्यूज18 वेबसाइट की खबर के मुताबिक इस काम के लिए 2011 के अगस्त में मेसर्स एसईडब्ल्यू-एसएसवाई हाइवेज लिमिटेड को ठेका मिला था. पता चला कि न तो सड़क बनी और न ही किसी तरह का जमीन पर काम हुआ लेकिन जालसाजों ने 206 किलोमीटर फोर लेन सड़क कागजों पर बना डाली.यह कागजी फोर लेन सड़क दिल्ली-सहारनपुर-यमुनोत्तरी मार्ग एनएच-57 पर बननी थी. इसकी लागत 1700 करोड़ रुपए थी. लेकिन कार्यदायी कम्पनी ने निर्माण कार्य दिखाकर 14 बैकों से 455 करोड़ 48 लाख रुपए निकाल लिए. यह कारनामा मेसरर्स एसईडब्ल्यू-एसएसवाई हाईवे लिमिटेड ने किया है.
यह काम बसपा सरकार में अगस्त, 2011 में इस कम्पनी को दिया गया था. कंपनी को फोरलेन बनाने का काम तीन सालों में पूरा करना था. कम्पनी ने परियोजना को पूरा करने के लिए चौदह बैकों से करीब 600 करोड़ रुपए का लोन भी ले लिया. लेकिन जांच हुई तो महज 13 फीसदी ही काम होना पाया गया. इस काम में 150 करोड़ का ही कम्पनी का खर्च पाया गया जबकि कम्पनी ने बैकों का 455 करोड़ रुपए सड़क निर्माण दिखा कर गबन कर लिया था.
अब स्टेट हाईवे अथॉरिटी के सबसे बड़े घोटाले की जांच सीबीआई करेगी. जिन 14 बैकों से 455 करोड़ रुपए गबन किया गया है. उनमें प्रमुख रूप से एसबीआई, आईसीआईसीआई, कारपोरेशन बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूनियन बैंक आफ इंडिया, स्टेट बैंक आफ हैदराबाद शामिल हैं. इस घोटाले में बैक के अधिकारियों के संलिप्त होने के भी संकेत मिले हैं. कंपनी के 4 निदेशकों समेत बैंक के अधिकारियों समेत 18 लोगों के खिलाफ लखनऊ के विभूति खंड थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इस संबंध में सख्त चेतावनी दी कि पूर्ववर्ती सरकारों में हुए घोटालों की जांच करा कर कार्यवाही की जाएगी.