अनुराग ने आगे कहा, “एफटीआईआई विवाद के समय मुझे चुप रहने का मलाल है क्योंकि मैं हमारी सरकार के साथ काम कर रहा था और मुझे विश्वास दिलाया गया कि वे स्थिति को बदलने पर काम कर रहे हैं और मैं उनका विश्वास किया। मुझे यह बातें सीधे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के जूनियर मंत्री ने कही थी कि आपको इसमें शामिल होने की जरुरत नहीं। हम मामले को सुलझा रहे हैं। मैंने विश्वास किया। बाद में सेंसरशिप के मुद्दे पर भी मैंने विश्वास किया और चुप रहा। उड़ता पंजाब के दौरान मेरा रास्ता बंद हो गया और सब चुप हो गए। उस समय मैंने कुचलने का तरीका देखा और मैं भी एक खिलौना बन गया। तब मैं जागा। और उसके बाद से मैं यहीं हूं और वह बोल रहा हूं जो नहीं बोला गया। यहीं मैं हूं और यहीं मैं रहूंगा। इसलिए आप सभी अपने ‘जब फलां-फलां हो रहा था तब कहां थे के सवाल लेकर निकल जाइए।’ धन्यवाद।”