PM मोदी बोले आधुनिक हों अदालतें, ‘वीडियो से हो मामले की सुनवाई, SMS से मिलें तारीखें’

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की 150वीं वर्षगांठ के समापन समारोह में न्यायपालिका की समस्याओं और चुनौतियों का जिक्र करते हुए नई तकनीक अपनाने पर जोर दिया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह देश की जनता के ऊपर से कानूनों का बोझ हर दिन कम करेंगे। सरकार बनने के बाद से अब तक 1200 कानून समाप्त किए गए हैं। हम कानूनों का जितना सरलीकरण कर पाएंगे, न्याय व्यवस्था को उतना ही संबल मिलेगा।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने तकनीक के प्रयोग पर बल दिया। कहा, सूचना प्रौद्योगिकी के बेहतर इस्तेमाल से अदालतों के काम में सरलता आई है। कहा कि यदि सरकारी अधिकारियों के अदालत में बयान वीडियो कांफ्रेंसिग से होंगे तो इससे उनका समय बचेगा। मोदी ने साथ ही 2022 में देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के लिए लोगों से संकल्प करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, अगर सब मिलकर प्रयास करेंगे तो इच्छित परिणाम लाने में सफल रहेंगे।

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उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डा. राधाकृष्णन द्वारा हाईकोर्ट के 100 वर्ष पर कही बातों का भी उल्लेख किया। कहा, कानून हमेशा बदलता रहता है। इसका लक्ष्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाना है। प्रोग्राम में डि‍प्टी सीएम केशव मौर्या, चीफ जस्टि‍स जीएस खेहर और यूपी के गवर्नर राम नाइक भी शामि‍ल हुए।

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देश पर बढ़ते मुकदमों के बोझ और न्यायाधीशों की कमी की ओर इशारा करते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर ने कहा, यह अवसर हमारे लिए एक टर्निंग प्वाइंट है। सवाल कुछ कर सकने और नहीं कर सकने का नहीं है, जो कुछ भी हमारे पास है उसमें हम क्या बेहतर कर सकते हैं यह देखना होगा।

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि 150 वर्षों की यात्रा में हाईकोर्ट ने अपनी उच्च परंपराओं को बनाए रखा है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का इतिहास

इलाहाबाद हाईकोर्ट एशिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना हाईकोर्ट है। इसकी स्थापना 17 मार्च 1866 में हुई थी। सर वॉल्टर मॉर्गन इलाहाबाद हाईकोर्ट के पहले चीफ जस्टिस थे।
उस वक्त सिर्फ 6 जज ही थे, लेकिन अब यहां जजों के 160 पद हैं। इसके अलावा करीब 17 हजार वकील हाईकोर्ट से जुड़े हुए हैं, लेकिन उस वक्त महज दर्जन भर ही वकील थे।
ये देश का पहला हाईकोर्ट है, जिसके पास अपना म्यूजियम और आर्काइव गैलरी है।
पहले लखनऊ में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच है। स्थापना के वक्त हाईकोर्ट आगरा में था।