बस्ते के बोझ से मिलेगी छुट्टी, CBSE ने स्कूलों को दिए निर्देश, कम होमवर्क और कम किताबों पर दें जोर

0
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse

asssocham

यहां बता दें कि हाल ही में एसोचैम की एक रिपोर्ट में भी सामने आया था कि 13 साल या इससे कम उम्र के 68 फीसद बच्चे बस्ते के बोझ से परेशान हैं और इन बच्चों ने पीठ में दर्द की शिकायत की है। सुझाए गए उपायों में स्कूलों को कहा गया है कि वो अपने यहां बच्चों को रोजाना टाइम टेबल के हिसाब से बस्ता तैयार कर स्कूल आने के लिए प्रेरित करें और इसकी जांच भी स्कूल प्रबंधन समय -समय पर करता रहे। पहली, दूसरी कक्षा के बच्चों पर गृहकार्य की व्यवस्था लागू न करें, इससे इन बच्चों को बस्ता लाने की ही जरूरत नहीं रह जाएगी।

इसे भी पढ़िए :  सौतेली मां ने मासूम की बेरहमी से ली जान, दिल थामकर पढ़िए

इसी तरह पीने के पानी का उचित इंतजाम स्कूल करें ताकि बच्चों को पानी की बोतल न लानी पड़े और स्पोर्ट्स के कपड़े भी अलग से लाने की अनिवार्यता बच्चों पर लागू न की जाए। यानी यदि स्पोर्ट्स के कपड़े पहनना जरूरी है तो उस दिन स्कूल ड्रेस से राहत दी जाए। शिक्षकों के स्तर पर सीबीएसई ने कहा कि वो कक्षाओं में बच्चों के जोड़े तैयार करें जिससे कि एक बच्चे को आधी किताबें और दूसरे के आधी किताबें लाने से पढ़ाई संभव हो सकेंगे। शिक्षक किताबों के बजाए पेपर शीट के माध्यम से बच्चों को पढ़ाएं। अभिभावकों से कहा कि बच्चों को रोजाना बस्ता तैयार करने के लिए प्रेरित करें।

इसे भी पढ़िए :  CBSE खत्म करेगा पुनर्मूल्यांकन की सुविधा, अगले साल से होंगे ये बड़े बदलाव
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse