नई दिल्ली। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने बुधवार(12 अक्टूबर) को कहा कि पदभार संभालने के बाद उनके लिए ‘‘घोटालों से निपटना’’ सबसे बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कहा कि कुछ घोटाले सामने आने के बाद हमने कानून बनाए। इसका परिणाम अंतत: कड़े कानूनों के प्रभाव में आने और समूची रक्षा खरीद प्रक्रिया रूकने के रूप में निकला।’’
पर्रिकर ने कहा कि अनुषंगी कंपनियों की गलती की वजह से कंपनियों या समूचे समूह को काली सूची में डालना ‘‘व्यावहारिक नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि विश्व में कंपनियों के 17 से 20 समूह हैं जो रक्षा उपकरण विनिर्माण और आपूर्ति से जुड़े हैं।
यहां बांद्रा में सुरक्षा विश्लेषक नितिन गोखले की प्रस्तुति वाले कार्यक्रम ‘‘स्ट्रेंथनिंग इंडियाज डिफेंस केपेबिलिटीज’’ में पर्रिकर ने कहा कि ‘‘किसी बड़े समूह की किसी खास कंपनी या शाखा द्वारा आपूर्ति किए गए त्रुटिपूर्ण उपकरण या उत्पाद को लेकर कार्रवाई करते समय व्यावहारिक रख अपनाए जाने की आवश्यकता है।’’
रक्षामंत्री ने कहा कि केंद्रीय कानून मंत्रालय ने कंपनियों को काली सूची में डालने के लिए मसौदा नीति को मंजूरी दे दी है। ‘‘हम इस पर जल्द काम करेंगे।’’ उन्होंने हथियारों के निर्माण में स्वदेशीकरण पर जोर दिया, क्योंकि भारत सरकार इनके आयात पर लाखों करोड़ रुपये खर्च करती है।
पर्रिकर ने कहा कि ‘‘हथियार विनिर्माण में आत्मनिर्भरता एक काल्पनिक चीज है। यदि कोई देश हथियार विनिर्माण में लगभग 70 प्रतिशत स्वदेशीकरण हासिल कर लेता है तो यह पर्याप्त होना चाहिए और भारत द्वारा इसे हासिल किया जाना एक अच्छी चीज होगा।’’
उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 तक भारत 70 प्रतिशत का वह लक्ष्य हासिल कर लेगा। 2027 तक रक्षा खरीदारी के लिए कोष की कोई बाधा नहीं है। हमारी जरूरत केंद्रीय वित्त मंत्रालय के ग्राफ के अनुसार प्रस्तावित है।