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पूर्व राजनयिक राजीव डोगरा ने कहा कि उड़ी के सैन्य शिविर पर जिस तरह का हमला हुआ है, वह जैश-ए-मोहम्मद या लश्कर-ए-तैयबा अकेले दम पर नहीं कर सकते। उन्होंने इस हमले में पाकिस्तानी सेना की संलिप्तता की ओर इशारा किया।
डोगरा ने कहा, ‘सन 1971 को छोड़कर साल 1947 से अब तक हम पाकिस्तानी शैतानी का जवाब देने का तरीका नहीं खोज पाए हैं।’ उन्होंने पश्चिमी पड़ोसी के साथ व्यापार को रोकने समेत सभी तरह के द्विपक्षीय संबधों को निम्नतर करने की भी वकालत की। डोगरा ने कहा, ‘कौन जानता है कि सीमा पार से आने वाले ट्रकों में क्या आ रहा है? ट्रकों में आतंकवादी भी छिपे हो सकते हैं।’
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