इस्लाम के विवादित प्रचारक जाकिर नाईक को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। इस बार जो जानकारी आ रही है वह चौंकाने वाली है। सूत्रों के अनुसार जाकिर नाईक पर 2009 से आईबी की नजर थी। 2009 से 2014 तक तीन बार आईबी ने गृह मंत्रालय को अलर्ट किया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आईबी ने अपनी रिपोर्ट में जाकिर नाईक के भाषणों को जहरीला और भड़काऊ बताया था। जाकिर की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को मिलने वाले विदेशी चंदे पर भी सवाल उठाए थे। चंदा तो सामाजिक कामों के लिए मिलता था लेकिन आईबी ने अलर्ट किया था कि चंदे से धार्मिक काम किए जा रहे हैं।
अब संभव है कि गृह मंत्रालय इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को विदेशी चंदे के लिए मिला FCRA लाइसेंस रद्द कर दे। सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय से चंदे की जांच के लिए कहा है। डॉ ज़ाकिर के संस्था पर इस्लाम को मानने वालों से ज़कात के रूप में पैसे देने के अपील की गयी है। जिसमें रक़म चेक़, ड्राफ्ट या फिर ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिये देने की अपील की गयी है। वहीँ सामाजिक कामों के लिए विदेशी अनुदान के ज़रिये रकम जुटाता रहा है। अब गौरतलब है कि जाकिर को लेकर देश में राजनीति भी गरमाई हुई है। सरकार भी इस मामले में गंभीर नजर आ रही है।