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रिपोर्ट के मुताबिक इस सिलसिले में पीड़ित परिवारों के लोगों, गवाहों, कानून के जानकारों और पुलिस अधिकारियों के 70 इंटरव्यू किए गए। रिपोर्ट कहती है कि इन 17 मामलों में से एक भी केस में पुलिस ने गिरफ्तारी की वाजिब प्रक्रिया का पालन नहीं किया था जिससे संदिग्ध के साथ बदसलूकी होने की संभावना बढ़ गई थी।
मानवाधिकार संस्था के मुताबिक सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 2015 में पुलिस हिरासत में हुई 97 मौतों में से 67 में पुलिस ने या तो संदिग्ध को 24 घंटे के भीतर मेजिस्ट्रेट के सामने पेश ही नहीं किया या फिर संदिग्ध की गिरफ़्तारी के 24 घंटे के भीतर ही मौत हो गई।
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