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इस अवधारणा में महबूब और आशिक मिलकर फना हो जाते हैं. ये एक तरह का सूफी रोमांस ही है। ‘पद्मावत’ का भी यही आधार है. पद्मावती कोई वास्तविक चरित्र नहीं है, ये जायसी की एक कल्पना है, जिसे उन्होंने सूफी रोमांस में ढाला था. इतिहास में पद्मावती का कोई जिक्र नहीं है।
फ़िल्मकार इस तरह की कहानियों को दर्शकों के मनोरंजन के लिए भुनाते हैं। भले ही आशुतोष गोवारिकर की फिल्म ‘जोधा-अकबर’ ने बॉक्स ऑफिस पर खूब कमाई की हो, लेकिन सच तो ये है कि इतिहास में जोधा नाम की अकबर की कोई पत्नी ही नहीं थी. ये भी महज एक कल्पना ही है, जिसे बॉलीवुड ने भुनाया है।
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