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कुछ बड़े अस्पतालों में काम करने वाले एक कार्डिऑलजिस्ट ने बताया, ‘ज्यादातर प्राइवेट हॉस्पिटल्स, खासकर हॉस्पिटल्स चेन, दबाव डालते हैं कि कार्डिऑलजिस्ट्स इन आइटमों का दुबारा इस्तेमाल करें। उन मामलों में इन आइटमों को कुछ बार इस्तेमाल करने को जायज ठहराया जा सकता है, जब आप मरीजों के कुछ पैसे बचाना चाहते हैं। लेकिन, ऐसे ज्यादातर अस्पतालों में न केवल ये 4-5 बार उपयोग में लाए जाते हैं, बल्कि हरेक आइटम के पूरे-पूरे पैसे भी मरीजों से वसूल लिए जाते हैं। इससे अस्पतालों को हरेक मरीज पर 20 से 30 हजार रुपये का फायदा हो जाता है।’
(खबर इनपुट नवभारत टाइम्स)
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