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बतौर जज भी तीरथ सिंह ठाकुर अपने फ़ैसलों के लिए जाने जाते रहे हैं क्योंकि हर मामले में उनका अध्ययन साफ़ झलकता रहा।
उनके कुछ प्रमुख फ़ैसले जिनकी चर्चा हुई-
- महाराष्ट्र में पर्यूषण पर्व के दौरान मांस पर प्रतिबन्ध के मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने टिप्पणी की: मांस प्रतिबन्ध किसी के गले के अंदर ज़बरदस्ती ठूंसे नहीं जा सकते.
- उन्होंने कबीर का हवाला देते हुए कहा : कबीर ने कहा था कि तुम उन लोगों के घरों में तांक-झाँक क्यों करते हो जो मांस खाते हैं. वो जो कर रहे हैं उन्हें करने दो भाई. तुम्हें इतनी चिंता क्यों है.
- फरवरी 2015 में न्यायमूर्ति ठाकुर और न्यायमूर्ति एके गोयल की खंडपीठ ने बहु-विवाह पर कहा था कि इस्लाम में यह प्रथा नहीं है और सरकार इसपर क़ानून बना सकती है.
- इससे पहले 2015 के जनवरी माह में एक आदेश में कहा कि बीसीसीआई का क्रिकेट में कोई व्यावसायिक हित नहीं होना चाहिए. इस फ़ैसले के बाद बीसीसीआई के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को अपना पद छोड़ना पड़ा.
- इसके अलावा कई और भी महत्वपूर्ण मामले मुख्य न्यायाधीश की अदालत में चल रहे हैं जैसे गंगा की सफाई का मामला, शारदा चिट फंड मामला और वन रैंक वन पेंशन.
जाने-माने वकील शांति भूषण कहते हैं कि तीरथ सिंह ठाकुर दिल्ली उच्च न्यायलय में भी बतौर जज रहे हैं और उनकी अदालतों में उन्हें जाने का मौक़ा भी मिला है।
शांति भूषण का कहना है कि अदालत के बाहर उन्होंने कभी भी ठाकुर को इस तरह बोलते नहीं सुना।
शांति भूषण कहते हैं, “वो प्रशासनिक प्रमुख भी हैं और जजों की नियुक्ति को लेकर सरकार का रवैया ऐसा है तो कोई कैसे ना बोले?”
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