केंद्र द्वारा रखे गए मुद्दों का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि ये सभी संवैधानिक मुद्दों से संबंधित हैं और संविधान पीठ को ही इनकी सुनवाई करनी चाहिए। पीठ ने संबंधित पक्षों को अगली सुनवाई की तारीख पर अधिकतम 15 पेज में अपना पक्ष पेश करने का निर्देश दिया। जब एक महिला वकील ने प्रसिद्ध शाहबानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हश्र का जिक्र किया तब पीठ ने कहा, ‘किसी भी मामले के हमेशा दो पक्ष होते हैं। हम 40 सालों से मामलों में फैसला करते रहे हैं। हमें कानून के अनुसार जाना होगा , हम कानून से परे नहीं जायेंगे।’
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इन मुद्दों को तय करने के लिए शनिवार और रविवार को भी बैठने के लिए तैयार है क्योंकि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। कोर्ट में गुरुवार की सुनवाई के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ‘यह संविधान से जुड़ा मामला है। हम आस्था की कद्र करते हैं, पर ऐसी प्रथाएं आस्था नहीं हो सकतीं। इसे 20 मुस्लिम देशों में पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है।’