इस तरह के उदाहरण देश में कई जगहों पर सामने आए। दरअसल, जमाकर्ता जानना चाहते थे कि सरकार ने पहले 30 दिसंबर तक का वक्त देकर बीच में ही इरादा क्यों बदल लिया। दिल्ली के बुराड़ी स्थित बंगाली कॉलोनी के सुद्धोजीत मित्रा ने कहा, “इससे पहले कि सरकार कोई और नया कानून बना दे, मुझे अपना पैसा हर हाल में जमा करवाना है।”
इसी तरह, मुंबई स्थित फोर्ट के एक प्राइवेट बैंक की ब्रांच में गए एक व्यक्ति को कई सवालों का सामना करना पड़ा और कुछ दस्तावेज भी मांगे गए। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “इन सबके लिए मैंने कोई तैयारी नहीं की थी। बैंक में पैसा जमा कराना आसान नहीं रहा। आरबीआई और बैंकों के बीच समझदारी का बहुत अभाव दिख रहा था।”
पेशे से टीचर एक व्यक्ति बैंक में नोट जमा करवाने गए तो उनसे पूछा गया कि अब तक पैसे जमा क्यों नहीं करवाए तो उन्होंने सीधा सा जवाब दिया कि मुझे लगा आखिरी दिनों में करवाऊंगा….क्योंकि बैंकों में काफी भीड़ थी। मैं भीड़ में खड़ा नहीं हो सकता। लेकिन रोज आ रहे नियम मुझे परेशान कर रहे हैं। इसलिए आज मैं सारे पैसों को जमा करवाने आ गया।
बैंक में रुपये जमा करवाने आई एक घरेलू महिला ने लिखा कि बेटे की शादी का इंतजार कर रही थी। मुझे पता था कि शादी में लोग पुराने नोट दे जाएंगे। सो इकट्ठे अब हुए हैं… मैं ले आई। अब जमा करिए…
नोट जमा करवाने आए एक छोटे दुकानदार ने लिखा कि प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री जी ने मना किया था कि जल्दबाजी की जरूरत नहीं है। यह जवाब देखकर बैंककर्मी भी सख्ते में आ गए।
एक सब्जी विक्रेता ने लिखा मेरी क्या गलती है…. आपने 30 तारीख दी थी तो अब जमा करें… बार-बार सवाल पूछकर परेशान क्यों किया जा रहा है….
दिहाड़ी मजदूर ने लिखा कि मुझे नहीं पता… सरकार से पूछो… कभी कुछ कहते हैं कभी कुछ कहते हैं। सुबह से लाइन में लगे हैं। काम पर भी जाना है।