एम एस गिल ने कहा कि हर चुनाव आयुक्त ने इसमें कुछ ना कुछ इज़ाफ़ा किया है। अब तो VVPAT का फीचर भी जुड़ गया है फिर भी चुनाव में हारने वाली पार्टियां और उनके नेता इस पर सवाल उठा रहे हैं। जबकि मेक इन इंडिया का सबसे ज़ोरदार ब्रांड ये EVM ही है।
गिल ने ईवीएम का बचाव करते हुए कहा कि इतनी बड़ी तादाद में मशीनें हैं कि किसी अफसर को ये नहीं पता होता कि कौन सी EVM किधर जानी है, ऐसे में कोई कैसे गड़बड़ कर सकता है। उन्होंने कहा कि निर्माता कम्पनी एक बार प्रोग्रामिंग करने के बाद खुद भी चिप में बदलाव नहीं कर सकती है। ये उस प्रयोग की गई सीडी और डीवीडी जैसा ही होता है जिसे रीराइट करने का कोई विकल्प ही नहीं है। ऐसे में गड़बड़ी और छेड़छाड़ के सभी आरोप बेबुनियाद हैं।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त गिल को जब पता चला कि कांग्रेस नेता और देश के पूर्व कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने भी EVM का समर्थन किया है तो पहले उन्हें इस बात की हैरानी हुई लेकिन उन्होंने इस पर अफनी खुशी भी जाहिर की। गिल ने कहा जिन्हें EVM में खामी दिखती है वो कोर्ट में जाएं। अगर कोर्ट का आदेश होगा तो शिकायतकर्ता को EVM खोलने और खेलने को भी मुहैया करा दी जाएगी और फिर वो खुद ज़ोर आज़मा कर देख ले। कामयाब हुए तो आयोग EVM को और ज़्यादा सुरक्षित कर देगा वरना उसकी विश्वसनीयता पहले की तरह बनी रहेगी।