EVM में संभव है टैंपरिंग? बता रहे हैं इसकी शुरुआत करने वाले एम एस गिल

0
ईवीएम
Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse

पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद ईवीएम विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। कुछ राजनीतिक दल EVM की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो चुनाव आयोग ने भी साफ तौर पर ईवीएम में किसी भी तरह की छेड़छाड़ से इनकार किया है। यहां तक कि आयोग ने सवाल उठाने वाले राजनीतिक दलों को EVM में किसी भी तरह की छेड़छाड़ करनी की खुली चुनौती तक दे डाली है।

इसे भी पढ़िए :  कश्मीरियों के ये 10 स्लोगन देखकर किसी भी हिंदुस्तानी को गुस्सा आ जाएगा

साल 1997 में पहली बार EVM से तमिलनाडु विधानसभा चुनाव कराने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एम एस गिल ने दो-टूक कहा कि EVM तब भी सबसे ज़्यादा सुरक्षित थी और अब भी, बस सवाल उठाने वाले बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि EVM ने जब सत्ता में बैठाया तो EVM अच्छी और सच्ची थी अगर हार गए तो EVM बेकार और झूठी हो गई।

इसे भी पढ़िए :  दोषी नेताओं पर लगे आजीवन प्रतिबंध, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और चुनाव आयोग से मांगा जवाब

कांग्रेस नेता एम एस गिल ने कहा जब वो मुख्य चुनाव आयुक्त थे तो 1997 में पहली बार EVM से चुनाव हुए थे, तब जयपुर में EVM की गुणवत्ता और जनता में मुहर बनाम मशीन पर प्रतिक्रिया जानने खुद सड़कों पर उतरे थे। गली के नुक्कड़ों पर तम्बू लगाकर महिलाओं को बुला-बुलाकर कहते थे कि जाओ जाकर नये तरीके से वोट डालकर आओ। तब जाकर वोटरों का अनुभव जान पाते थे। इन 20 सालों में EVM की गुणवत्ता और सुरक्षा और मज़बूत हुई है।

इसे भी पढ़िए :  जयललिता के निधन के बाद खात्मे की कगार पर AIADMK... ना रही पार्टी, ना बचा चुनाव चिह्न
Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse