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नायडू ने कहा कि एनडीए के सत्ता में आने के बाद इन संस्थाओं ने प्रतिनिधि बनाए और मंत्रालय ने इस मामले को देखने के लिए दो रिटायर्ड सचिवों का एक पैनल बनाया गया। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार का फैसला भेदभाव भरा था। उन्होंने कहा कि इस मामले को मैंने कैबिनेट में उठाया और इसके बाद कुछ को छोड़कर बाकी सभी को जमीन आवंटित कर दी गई। यूपीए सरकार ने यह कहते हुए 29 संस्थाओं का जमीन आवंटन रद्द कर दिया था कि प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ियां हैं। यूपीए ने इस मामले की जांच रिटायर्ड आईएएस अफसर योगेंद्र चंद्रा को सौंपी थी, जिन्होंने करीब 100 मामलों की जांच की थी। सूत्रों ने कहा कि जिन संस्थाओं को जमीन वापस मिली है उनमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी समिति न्यास, विश्व संवाद केंद्र, धर्मयात्रा महासंघ और अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम शामिल है।
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