1960 में भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुए सिंधु समझौते के तहत छह नदियों ब्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चेनाब और झेलम के पानी का बंटवारा दोनों देशों के बीच होना तय हुआ था। समझौते के तहत भारत का ब्यास, रावी और सतलुज के पानी पर अधिकार मिला। दूसरी तरफ पाकिस्तान के पास सिंधु, चेनाब और झेलम नदियों का पानी आया।
पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने सिंधु जल समझौते पर पुनर्विचार के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि कोई समझौता एकतरफा नहीं हो सकता है। इससे पहले जम्मू और कश्मीर के डेप्युटी CM निर्मल सिंह ने भी पिछले हफ्ते कहा था, ‘सिंधु जल समझौते के कारण जम्मू और कश्मीर का काफी नुकसान हुआ है। समझौते के कारण राज्य की जनता सिंधु नदी का पूरे पानी का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। निर्मल सिंह ने कहा था कि जम्मू और कश्मीर सिंधु जल समझौते पर केन्द्र के हर फैसले का समर्थन करेगा।