बरखा की आलोचना करते हुए दासगुप्ता ने कहा कि “मेरी दोस्त बरखा दत्त को लगता है कि वो अमेरिकी जनता से ज्यादा जानती हैं कि उन्हें क्या चाहिए।” दासगुप्ता ने बरखा द्वारा डोनाल्ड ट्रंप समर्थक जाली खबरों के तीन करोड़ ट्वीट किए जाने का हवाला देने पर कटाक्ष करते हुए कहा, “आप भी तो 13 साल से एक आदमी को मास मर्डर कहती आ रही हैं। जब भारत के लोगों ने उसे प्रधानमंत्री चुन लिया तो आप कहने लगीं ये ‘पोस्ट-ट्रूथ’ है।”
जब बरखा ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप समर्थक जाली खबरों के तीन करोड़ ट्वीट की बात उन्होंने नहीं स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोध में कही गयी है तो बरखा ने उन्हें लाजवाब करेत हुए कहा, “यही स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी चुनाव से पहले कर रही थी कि 99 प्रतिशत चांस है कि हिलैरी क्लिंटन जीतेंगी।” दासगुप्ता ने कहा कि जब आम जनता ने “दुनिया भर के हारे हुए लोगों” की सोच से उलट फैसला किया तो ये उसे ‘पोस्ट-ट्रूथ’ कहने लगे। ये कहने लगे कि जनता को बरगलाया गया है। दासगुप्ता ने कहा, “भारत अमेरिकी, और ब्रिटेन की आम जनता को नहीं बस स्टैनफोर्ड के प्रोफेसर और उनके जैसे लोग जानते हैं कि ट्रूथ क्या है!”
दासगुप्ता ने बरखा पर निशाना साधते हुए ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल से जुड़ा एक किस्सा भी साझा किया। दासगुप्ता ने कहा कि एक बार चर्चिल ने एक किताब लिखी तो ब्रिटेन के एक वरिष्ठ राजनेता ने उस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “विंस्टन ने अपने ऊपर किताब लिखी है लेकिन उसका नाम वर्ल्ड क्राइसिस (विश्व संकट) रखा है।”