रिपोर्ट में विस्तारपूर्वक सेना की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर बात की गई है। इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक, छह खंड की उस रिपोर्ट के पहले हिस्से में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले का जिक्र था। बताया गया था कि कहां-कहां कमियां थीं। दूसरे अध्याय में मिलिट्री की उन सब तकनीकों का जिक्र था जो कि मौजूदा दौर में उसके पास हैं। इसके अलावा साफ किया गया था कि मिलिट्री युनिट की सुरक्षा की जिम्मेदारी उसके कमांडिंग ऑफिसर और उसके बाकी साथियों की होगी। तीसरा खंड सेना के प्रतिष्ठानों में मॉर्डन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के ऊपर था। साथ ही उसके ऊपर खर्च होने के लिए ज्यादा फंड चाहिए उसका भी जिक्र था।
सेना के कुछ लोगों ने इस बात को फिर उठाया है कि उन्हें खुफिया एजेंसी से हमले के बारे में कोई चेतावनी नहीं मिली थी। इसलिए इस तरह के हमले के लिए सिर्फ सेना को जिम्मेदार ठहराना गलत है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर की सुरक्षा का जिम्मा सुरक्षा एजेंसियों का होता है।