न्यायालय ने साइबर अपराध से संबंधित मामलों की जांच के लिए कोई कार्ययोजना तैयार नहीं करने पर भी सरकार की खिंचाई की और उसे एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने इस मामले को आगे सुनवाई के लिये शुक्रवार को सूचीबद्ध किया है। न्यायालय तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू को हैदराबाद स्थित गैर सरकारी संगठन प्रज्वला द्वारा एक पेन ड्राइव में बलात्कार के दो वीडियो के साथ भेजे गए पत्र पर सुनवाई कर रहा था। न्यायालय ने व्हाटसएैप पर पोस्ट किए गए इन वीडियो के बारे में मिले पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुये केन्द्रीय जांच ब्यूरो तत्काल जांच करने और इसमें संलिप्त आरोपियों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया था।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने बलात्कार मामलों के इन टेप को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (कानून) के तहत सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर इन वीडियो टेप को अवरुद्ध करने के बारे में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से जवाब तलब किया था।
भाषा की खबर के अनुसार, सामाजिक कार्यकर्ता सुनीता कृष्णन ने न्यायालय में कहा था कि कम से कम एक ऐसा स्थान होना चाहिए जहां बलात्कार के वीडियो जैसे मामलों के बारे में रिपोर्ट किया जा सके और इन्हें अवरूद्ध करने का अनुरोध किया जा सके। प्रज्वला की सह संस्थापक कृष्णन का कहना था कि जिन नौ मामलों की सीबीआई जांच कर रही है उसके अलावा उनके पास 90 और मामले थे लेकिन ऐसा कोई एक प्राधिकार नहीं है जिसके समक्ष वह ऐसी वीडियो अवरुद्ध करने की शिकायत दर्ज करा सकें।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले केन्द्र सरकार के साथ ही उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, दिल्ली और तेलंगाना सरकार से भी जवाब मांगे थे। इस संगठन का कहना था कि एक वीडियो साढ़े चार मिनट का है जिसमें एक व्यक्ति लड़की से बलात्कार करता दिखाया गया है जबकि दूसरा व्यक्ति इस जघन्य कृत्य की फिल्म बना रहा है। इसी तरह, दूसरी वीडियो एक लड़की से पांच अपराधियों द्वारा सामूहिक बलात्कार से संबंधित साढ़े आठ मिनट का है।