गूगल-याहू को सुप्रीम कोर्ट का आदेश, 36 घंटों में डिलीट करें भ्रूण जांच की जानकारियां

0
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse

सर्वोच्च अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है। सुनवाई के दौरान बेंच ने घटते सेक्स रेशियो पर चिंता जाहिर की है। बेंच ने कहा कि भारत में ऐसे जानकारी की जरूरत नहीं है कि किसी को लड़का होगा या लड़की। यहां सेक्स रेशियो गिर रहा है और हमें इसकी चिंता है। बेंच ने ताकीद की, ‘हमने हाल में इसे लेकर एक आदेश पारित किया था। 1994 के पीसीपीएनडीटी ऐक्ट के मुताबिक कोई भी जन्म पूर्व लिंग निर्धारण का प्रचार-प्रसार नहीं करेगा। अगर ऐसा हो रहा है, तो इसे रोका जाना चाहिए।’

इसे भी पढ़िए :  लालू ने SC में शहाबुद्दीन के खिलाफ अपील पर संभलकर दी प्रतिक्रिया

गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से पैरवी कर रहे सीनियर ऐडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि कोर्ट के पूर्व आदेश के मुताबिक काम हो रहा है। सिंघवी ने जानकारी दी कि सर्च इंजन खुद से ऐसे विज्ञापनों और कंटेंट को ब्लॉक करने के लिए कदम उठा रहा है।

इसे भी पढ़िए :  तिहाड़ आर्ट फेस्टिवल का हो रहा आयोजन 100 से ज्यादा कैदी होंगे इसमें शामिल
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse