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सर्वोच्च अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है। सुनवाई के दौरान बेंच ने घटते सेक्स रेशियो पर चिंता जाहिर की है। बेंच ने कहा कि भारत में ऐसे जानकारी की जरूरत नहीं है कि किसी को लड़का होगा या लड़की। यहां सेक्स रेशियो गिर रहा है और हमें इसकी चिंता है। बेंच ने ताकीद की, ‘हमने हाल में इसे लेकर एक आदेश पारित किया था। 1994 के पीसीपीएनडीटी ऐक्ट के मुताबिक कोई भी जन्म पूर्व लिंग निर्धारण का प्रचार-प्रसार नहीं करेगा। अगर ऐसा हो रहा है, तो इसे रोका जाना चाहिए।’
गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से पैरवी कर रहे सीनियर ऐडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि कोर्ट के पूर्व आदेश के मुताबिक काम हो रहा है। सिंघवी ने जानकारी दी कि सर्च इंजन खुद से ऐसे विज्ञापनों और कंटेंट को ब्लॉक करने के लिए कदम उठा रहा है।
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