सुप्रीम कोर्ट गौरक्षकों पर लगाम लगाने के लिए सुनवाई करने को तैयार हो गई है। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र और 6 राज्यों को 7 नवंबर को अपने पक्ष रखने को कहा है।
कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गौरक्षकों पर सवाल उठा चुके हैं। पीएम ने कहा था कि गाय की रक्षा के नाम पर सक्रिय 80 फीसदी से ज़्यादा लोग आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं। फिर भी इनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई न होना हैरानी की बात है।
पूनावाला के अनुसार कई राज्य खुद गौरक्षक संगठनों को मान्यता देते हैं। उनके सदस्यों को पहचान पत्र जारी किये जाते हैं। कुछ राज्यों में तो उन्हें सरकारी कर्मचारी जैसा दर्जा हासिल है। याचिका में जिन छह राज्यों के इस तरह की व्यवस्था होने की बात कही गई है, वो हैं – गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी, झारखंड , कर्नाटक और राजस्थान.।
याचिका में नंदनी सुंदर मामले में सुप्रीम कोर्ट फैसले का भी हवाला दिया गया है, जिसमें कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से निबटने के लिए बनाये गए संगठन सलवा जुडूम को अवैध बताया गया था। कोर्ट ने फ़ेलसे में कहा था कि रक्षा करना सरकारा का कम है। नागरिकों के किसी प्रतिरक्षक संगठन को मंजूरी नहीं दी जा सकती।
जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज इस मामले पर औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया। लेकिन कोर्ट ने इस मामले में पक्ष बनाए गए राज्यों को याचिका की कॉपी दिये जाने को कहा है। अगली सुनवाई में सभी राज्यों को याचिका में उठाए गए मुद्दों पर अपना पक्ष रखना है।