दोस्ती में दरार आने के बाद से शिवसेना बीजेपी पर ज्यादा हमलावर हो गई है। पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में बजट को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। सामना में कहा गया है कि राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे पर तो सरकार ने लगाम लगा दी लेकिन लोकसभा चुनाव में अच्छे दिन के प्रचार और प्रसार के लिए जो हजारों करोड़ बहाए गए वो पैसे कहां से आए थे।
इतना ही नहीं सामना में शिवसेना ने केंद्र सरकार पर नोटबंदी और किसानों की अवहेलना के लिए भी केंद्र सरकार की आलोचना की है।
सामना में सरकार पर साधे गए ये 8 निशाने।
- नोटबंदी गलत हुई, यह स्वीकारने की हिम्मत केंद्र सरकार में भले ही ना हो लेकिन गलती का एहसास हो रहा है।
- कृषि क्षेत्र के लिए और किसानों के लिए जिन योजनाओं और राशि के बड़े बड़े आंकड़े घोषित हुए उससे यह स्पष्ट होता है कि ये किसानों के रोष को ठंडा करने की कवायद है।
- पांच राज्यों के चुनावों पर नजर रखते हुए सरकार ने किसान, गरीब और ग्रामीण क्षेत्र के लिए भरपूर प्रावधानों का ऐलान कर चालाकी दिखाई।
- 5 लाख तक की आमदनी करमुक्त की होती तो मध्यमवर्गीयों के लिए यह बजट फायदेमंद होता।
- यदि नोटबंदी के बाद काला धन खत्म हो गया तो आम जनता को कर मुक्त क्यों नहीं किया गया।
- अच्छे दिन का सपना बेचकर सत्ता में आई इस सरकार ने गरीबों को सस्ते में मकान देने की घोषणा पहले भी की थी, आज तक कितने मकान बनाए गए। उस राशि का क्या हआ उसका हिसाब सरकार नहीं देती।
- नए रोजगार छोड़िए नोटबंदी के चलते देश में 44 लाख लोगों की जो नोकरियां थी वो भी चली गई। यह वास्तविकता है।
- सरकार किसानों का उत्पादन दूर करने की बात कर रही है। लेकिन कीमत आधी मिलती है। किसानों को राहत कहां मिली।