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राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि उन्होंने जम्मू कश्मीर सरकार को सभी समुदायों को समान सुरक्षा प्रदान करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा, “यदि किसी समुदाय को सुरक्षित करना है तो राज्य अल्पसंख्यक आयोग रखना जरूरी नहीं है। एक राज्य की जिम्मेदारी है कि वह अपने अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा करे। यदि आपका समाज समावेशित है तो आपको आयोग या आदेशों की जरुरत नहीं। मैंने राज्य सरकार से कहा है कि इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर लें और केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करें।” सुप्रीम कोर्ट के जजों ने मेहता और सुब्रमण्यम की ओर से दिए दस्तावेजों की प्रशंसा की और दोनों सरकारों को प्रस्ताव बनाने व पेश करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया।
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