रियो डी जनीरो : मेडल के लिए सिंधु की मेहनत का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पिछले तीन महीने से वो ‘गुप्त काल’ में थी। गुप्त काल मतलब बिना मोबाइल और बिना इंटरनेट के।रियो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचने वाली सिंधु के ‘निर्माता’ पुलेला गोपीचंद ने बताया कि सिंधु के पास पिछले तीन महीने से कोई मोबाइल फोन नहीं था। सिंधु के कोच ने यह भी बताया कि सिंधु का वजन न बढ़े, इसके लिए वह सिंधु की प्लेट से खाना तक निकाल कर बाहर कर देते थे।
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गोपीचंद ने कहा कि पिछले तीन महीने से सिंधु के पास कोई मोबाइल फोन नहीं था। उन्होंने कहा, ‘आज मैं उसे मोबाइल वापस कर दूंगा। लेकिन इसके लिए उसे थोड़ा सा इंतजार करना पड़ेगा। मैं मोबाइल चार्ज करने के बाद उसे दे दूंगा।’ सिल्वर मेडल जीतने के बाद सिंधु ने सबसे पहले आइसक्रीम खाने की इच्छा जताई। सिंधु की इच्छा पर गोपीचंद ने कहा कि अब सिंधु को पूरी छूट है, वह जो चाहे खा सकती है। गोपीचंद ने बताया कि सिंधु की फ़िटनेस बनी रहे इसके लिए वह उसकी प्लेट से खाना तक निकाल लिया करते थे। गौरतलब है कि गोपीचंद ने अपनी अकैडमी में ब्रेड और शुगर को पूरी तरह से बैन कर रखा था। रियो जाने वाले प्लेयर्स के साथ वह भी प्रैक्टिस कर सकें, इसलिए गोपीचंद भी 8 महीने से कार्बोहाइड्रेट बढ़ाने वाले प्रॉडक्ट्स से दूर हैं। उन्होंने सिंधू पर चॉकलेट और हैदराबादी बिरयानी खाने पर भी पाबंदी लगा रखी थी।
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आपको बता दें कि सिंधु को सिल्वर मेडलिस्ट बनाने में सबसे बड़ा योगदान उनके कोच गोपीचंद का ही है। सिंधु के पिता भी कह चुके हैं सिंधु के साथ गोपीचंद ने भी बराबर मेहनत की है। आपको जानकर हैरानी होगी कि गोपीचंद को अपनी अकैडमी शुरू करने के लिए अपने घर तक को गिरवी रखना पड़ा था। हालांकि आंध्रप्रदेश सरकार ने गोपीचंद को अकैडमी बनाने के लिए जमीन दी थी लेकिन प्रॉजेक्ट को पूरा करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा करने के लिए अपना घर गिरवी रख दिया।