लखनऊ : परिवार का झंझट खत्म हुआ तो सपा का नेतृत्व गठबंधन के घटक दलों कांग्रेस व रालोद के लिए सीटें छोड़ने पर उलझ गया है। बुधवार को प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होनी थी, मगर तीनों दल सीटों के मोलभाव में उलझे रहे। सपा कांग्रेस को और रालोद को 20 से अधिक सीटें नहीं देना चाहती है, जबकि दोनों दल अधिक सीटें चाहते हैं। अब नए सिरे से फार्मूला तैयार हो रहा है।
सपा-कांग्रेस गठबंधन बनाकर विधानसभा चुनाव में उतरेगी, कई दिनों से यह बात सामने आ रही थी। दो दिन पहले अखिलेश को साइकिल चिह्न् मिलने के बाद कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने अखिलेश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात स्वीकारी। शीला दीक्षित ने मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी छोड़ने की बात कही। सपा ने भी इस पर मुहर लगाते हुए जल्द प्रत्याशी घोषित करने का संकेत दिया।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने रणनीतिकारों के साथ दो दिनों तक अपने प्रत्याशियों, कांग्रेस व रालोद के लिए सीटें छोड़ने पर मंथन किया। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस समाजवादी पार्टी की जीती हुई दस सीटों समेत तकरीबन सौ सीटें चाहती है और रालोद भी सपा की तीन जीती सीटों समेत 30 सीटें चाहती है, मगर सपा इसके लिए फिलहाल तैयार नहीं है। वह अमेठी, रायबरेली जिले की जीती हुई कुछ सीटें छोड़ने को तैयार है, मगर कांग्रेस के लिए 90 से अधिक सीटें छोड़ने को तैयार नहीं है। ऐसे ही सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार खड़ी रालोद ने पहले 30 सीटें मांगी, फिर घटकर 28 पर आ गई। वह जाट बहुल सिवालखास, खतौली, बुढ़ाना विधानसभा सीट भी अपने हिस्से में चाहती है। इनमें से दो सीटें सपा के पास हैं। सूत्रों का कहना है कि सपा अपनी ये दोनों सीटें छोड़ने का मन तो बना रही है मगर वह रालोद को 20 से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार शाम गठबंधन, चुनाव बाद परिस्थितियों व भविष्य की उम्मीदों को लेकर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, राज्यसभा सदस्य किरनमय नंदा, प्रो. रामगोपाल यादव व युवा टीम के सदस्यों को साथ लंबी चर्चा की। इसमें किन्ही कारणों से गठबंधन से किसी एक दल के बाहर होने की स्थिति पर भी बात होने की चर्चा है। हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई।