सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, तीन तलाक असंवैधानिक

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तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों की संविधान बेंच ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया। पांच में से तीन जजों जस्टिस कुरियन जोसफ, जस्टिस नरीमन और जस्टिस यूयू ललित ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया। दोनों ने जस्टिस नजीर और सीजेआई खेहर की राय का विरोध किया।

तीनों जजों ने तीन तलाक को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार दिया। जजों ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है। इस फैसले का मतलब यह है कि कोर्ट की तरफ से इस व्यवस्था को बहुमत के साथ खारिज किया गया है।

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हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि संसद को इस मामले पर कानून बनाना चाहिए। कोर्ट ने कानून बनाने के लिए 6 महीने का वक्त दिया है। कोर्ट ने मुस्लिम देशों में ट्रिपल तलाक पर लगे बैन का जिक्र किया और कहा कि भारत इससे आजाद क्यों नहीं हो सकता? सबसे पहले चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने अपना फैसला पढ़ा।

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चीफ जस्टिस ने कहा कि तीन तलाक संविधान के आर्टिकल 14 (समानता का अधिकार), 15 (धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव के खिलाफ अधिकार), 21 (मान सम्मान के साथ जीने का अधिकार) और 25 (पब्लिक ऑर्डर, हेल्थ और नैतिकता के दायरे में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन नहीं है।

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कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे को संसद को देखना चाहिए। खेहर ने यह भी कहा कि सभी पार्टियों को राजनीति को अलग रखकर इस मामले पर फैसला लेना चाहिए। चीफ जस्टिस के मुताबिक, यह प्रथा सुन्नी समुदाय का अभिन्न हिस्सा है और यह प्रथाा 1000 सालों से चली आ रही है।

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Source: AAJ TAK