एचआईवी और एड्स पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र में यह बात स्वीकार किया गया है कि भारत में अनुमान के अनुसार 3.1 मिलियन पुरुष ऐसे हैं, जो पुरुषों के साथ सेक्स पसंद करते हैं। इस मामले पर मौजूदा कानून और एचआईवी पर काम कर रहे ग्लोबल आयोग के वर्किंगपेपर के मुताबिक देश में इस समूह के बीच एचआईवी प्रसार दर 14.5 फीसदी है।
अध्ययन में पाया गया है कि यौन कर्मी पुरुष, विशेष रुप से जिनके ज्यादा ग्राहक हैं, उन पर हिंसा का खतरा ज्यादा रहता है। हालांकि, कम आमदनी वाले यौन कर्मियों के बीच एसटीआई लक्षणों का प्रसार अधिक देखा गया है। ऐसे पुरुष जिन पर साप्ताहिक रुप से कम ग्राहकों को भार होता है (चार या कम) उनमें एसटीआई प्रसार की सूचना ज्यादा दर्ज की गई है। इसके लिए 8.3 फीसदी का आंकड़ा दर्ज है। इस संबंध में अधिक ग्राहकों वाले पुरुषों के लिए आंकड़े 4.3 फीसदी हैं। इसका कारण यह हो सकता है कि कम कमाई की वजह से पुरुष एसटीआई / एचआईवी के लिए परीक्षण न करा पाते हैं।
Source: Swasti Health Resource Centre
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हिंसा का शिकार पुरुषों में ज़्यादातर की रिपोर्ट दर्ज नहीं होती है, 41.3 पुरुष जिन्हें शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा हो, उनके रिपोर्ट दर्ज होने की संभावना कम ही होती है। 39.8 फीसदी पुरुष यौन हिंसा का सामना करते हैं, उनकी रिपोर्ट दर्ज होने की संभावना भी कम ही होती है। 32.4 फीसदी भावनात्मक हिंसा का सामना करने वाले पुरुषों की भी रिपोर्ट दर्ज नहीं होती। अजित कहते हैं कि चेन्नई में सीओ के माध्यम से हिंसा के खिलाफ पुलिस की सुरक्षा पाना अधिक आसान है।
अजित कहते हैं, “जब हम पर हिंसा होती है, तो हम नेटवर्क तक पहुंच सकते हैं। यदि मैं बस स्टॉप पर खड़ा हूं और पुलिस पूछताछ के लिए आती है तो हम मदद के लिए सीओ को फोन कर सकते हैं।”
रिसर्च से पता चलता है कि सीओ यौन कार्य और अन्य व्यवसायों में लगे हुए ऐसे समलैंगिकों के लिए एक मजबूत समर्थन प्रणाली प्रदान करता है।
Source: Swasti Health Resource Centre