डिप्रेशन के शिकार हैं भारत के इतने करोड़ लोग, आंकड़े चौंकाने वाले हैं

0
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse

अवसाद यानी डिप्रेशन के अलावा भारत एवं चीन में ‘चिंता’ भी बड़ी समस्या है। भारत और अन्य मध्य आय वाले देशों में आत्महत्या के सबसे बड़े कारणों में से एक चिंता भी है। 2015 में भारत में करीब 3.8 करोड लोग चिंता जैसी समस्या से पीड़ित थे और इसके बढ़ने की दर 3 फीसदी थी। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में डिप्रेशन और चिंता सबसे ज्यादा पाई गई। डेटा से पता चलता है कि कम और मध्य आय वाले देशों में दुनिया के 78 फीसदी आत्महत्या के मामले सामने आते हैं। 2012 में भारत में आत्महत्या के सबसे ज्यादा अनुमानित मामले सामने आए थे।

इसे भी पढ़िए :  आप गंजे हैं फिर भी दिखेंगे स्मार्ट, बस करने होंगे ये काम

पिछले साल राज्य सभा में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल विधेयक 2013 पास किया गया। इस कानून में चिकित्सा के दौरान मानसिक बीमारी के शिकार लोगों के अधिकारों की सुरक्षा का प्रावधान है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2014 में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति भी लाई थी जिसका मकसद उपचार में होने वाले गैप को खत्म करने के लिए फंडिंग और मानव संसाधन को बढ़ाकर सभी को मानसिक चिकित्सा सेवा प्रदान करना था।

इसे भी पढ़िए :  भारतीय प्रवासियों के हित में नहीं है सउदी अरब की संशोधित “निताकत योजना”

 

2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse