पुलिस की पूछताछ के बाद एक लड़के ने इसे ज्यादती करार दिया। उसने बताया, ‘मैं डीएन कॉलेज के बाहर अपने दोस्त से मिलने के लिए खड़ा था और पुलिस ने मुझे वॉर्निंग दी। वे लोग मेरे घरवालों को बुलाना चाहते थे, लेकिन मैंने उन्हें सही नंबर नहीं दिया। वे तो यह भी नहीं जानते थे कि मैं लड़का या लड़की, किससे मिलने आया हूं। उनके लिए तो बाइक पर सवार हर युवक ‘मजनू’ है। ‘
वहीं, बेटे की शिकायत को लेकर पुलिस द्वारा बुलाए गए एक पिता भी इन तरीकों से सहमत नहीं दिखे। उन्होंने कहा, ‘यह पुलिस का काम नहीं है कि वह तय करे कि लड़के कहां खड़े हों और कहां नहीं। मेरा बेटा 19 साल का है और वह वयस्क है। मुझे इस बात में कोई दम नहीं नजर आता कि पिता को बुलाकर कहा जाए कि उसका बेटा मटरगश्ती कर रहा है।’
वहीं, दिल्ली गेट पुलिस स्टेशन के एसएचओ एमके उपाध्याय ने कहा, ‘ऐसा अक्सर होता है कि जिन लड़कों का स्कूल या कॉलेज से कोई लेनादेना नहीं, वे भी क्लासेज खत्म होने के वक्त पर बाहर खड़े रहते हैं। हमें ऐसे कई लड़के मिले। हमने उनसे कहा कि आगे से हम उन्हें छोड़ने वाले नहीं हैं।’ वहीं, एसपी सिटी आलोक प्रियदर्शी ने उत्पीड़न के आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा, ‘इन स्कवॉड्स का एकमात्र मकसद महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित कराना और छेड़खानी रोकना है। ऐसा करने के लिए हम ऐसे कदम उठा रहे हैं ताकि शरारती तत्व उन इलाकों में न मंडराएं जहां अमूमन ज्यादा महिलाएं होती हैं। मैं बिलकुल नहीं कहूंगा कि यह एक मोरल पुलिसिंग है।’