सूत्रों ने बताया कि मोइदीन नवंबर में भारत लौट आया था और उसने कहा कि उसे पेरिस हमले के बारे में मीडिया में आई खबरों से पता चला। उसने इराक और सीरिया में आइएस के कब्जे वाले इलाकों में इन हमलावरों से मुलाकात की बात कबूल की। सूत्रों ने बताया कि एनआइए ने फ्रांस के सुरक्षा अधिकारियों को सूचित किया है और यहां फ्रांसीसी दूतावास से संपर्क किया है। जांच में किसी तरह की मदद मिलने की उम्मीद से उन्हें सूचित किया गया है। उन्होंने कहा कि अदालत का उचित आदेश मिलने पर फ्रांसीसी अधिकारी मोइदीन से पूछताछ भी कर सकते हैं। फ्रांस में हुए आतंकवादी हमलों की कई देशों की ओर से की जा रही छानबीन के मुताबिक, हमले में शामिल आतंकवादी उस वक्त आइएस के कब्जे वाले इलाकों में ही मौजूद थे जब 31 साल का मोइदीन वहां था। मोइदीन आठ अप्रैल 2015 से इराक में था, जहां उसे मोसुल ले जाया गया। मोसुल में उसे धार्मिक प्रशिक्षण और फिर लड़ाकू प्रशिक्षण दिया गया जिसमें स्वचालित हथियारों को चलाने का प्रशिक्षण भी शामिल था। इसके बाद उसे करीब दो हफ्ते के लिए युद्ध लड़ने के लिए तैनात किया गया।
उसने जांच अधिकारियों को बताया कि युद्ध के दौरान आइएस ने उसे हर महीने भत्ते के तौर पर 100 अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया और इसके अलावा रहने व खाने की सुविधा मुहैया कराई। बहरहाल, मोइदीन ने जांच अधिकारियों को बताया कि वह मोसुल में हिंसा और मुश्किल हालात नहीं झेल सका और जब अपने दो दोस्तों को जलकर मरते देखा तो वहां से रवाना होने का फैसला किया। आइएस ने मोइदीन को जेल में बंद कर दिया था। उसे एक इस्लामी जज के सामने पेश किया जिसने उसे सीरिया भेज दिया। मोइदीन ने दावा किया कि उसे तुर्की जाने दिया गया जहां से उसने इस्तांबुल स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास की मदद से अपने परिवार से संपर्क साधा। वह छह महीने बाद एक आपातकालीन प्रमाणपत्र पर पिछले साल सितंबर में मुंबई पहुंचा और अपने पैतृक स्थान चला गया और पत्नी के साथ रहने लगा। बाद में तमिलनाडु के कदयानल्लूर में वह एक आभूषण की दुकान पर नौकरी करने लगा।
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