दिल्ली:
पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा के निकट सहयोगी और टूजी मामले का एक अहम गवाह सादिक बाचा की हत्या करने का दावा करने वाला सीबीआई की पूछताछ से पहले लापता हो गया।
चौबीस साल के के. प्रभाकरण ने 17 मई को एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया था कि उसने 2011 में बाचा की हत्या की थी और एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी तथा बाचा के एक रिश्तेदार को इस अपराध में साझेदार बताया था। सीबीआई उससे पूछताछ करने की योजना बना रही थी।
प्रभाकरण ने दावा किया था कि बाचा ने सीबीआई को ‘‘अहम सूचना’’ दी थी जो टूजी मामले के मुख्य आरोपी राजा के खिलाफ गया था। इसके बाद उसकी हत्या की गई।
उसके संवाददाता सम्मेलन के बाद सीबीआई ने उसे खोजने की कोशिश की, लेकिन प्रभाकरण का पता नहीं चल पाया।
एजेंसी ने उसे तलाश करने के लिए एक मुहिम छेड़ी है क्योंकि उसका दावा टूजी स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाला मामले की प्रकृति बदल सकता है। बाचा की मृत्यु का मामला हत्या के मामले में बदल सकता है। और महत्वपूर्ण लोग इस मामले में नामित किए जा सकते हैं।
एजेंसी सूत्रों ने बताया कि स्थानीय पुलिस जांच में सहयोग नहीं कर रही है और कुछ अधिकारी प्रभाकरण को मानसिक रूप से अस्थिर बताने की हद तक गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि उसके परिवार वालों ने भी दावा किया है कि वे प्रभाकरण का अता-पता नहीं जानते हैं।
बाचा 2011 में रहस्यमय हालात में लटका पाया गया था।
सीबीआई ने बाचा से बार-बार पूछताछ की थी क्योंकि एजेंसी को शक था कि उसकी कंपनी को टूजी घोटाले की कथित रिश्वत को दूसरी जगह पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया गया।
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने एम्स के फारेंसिक विशेषज्ञों की सेवा यह पता लगाने के लिए ली कि क्या बाचा की हत्या की गई है, लेकिन विस्तृत जांच के बाद वह ऐसा कुछ नहीं पा सकी जिससे हत्या की परिकल्पना को बल मिले।