ये नियम बनने के बाद कोई भी सेलीब्रिटी, किसी भी कंपनी का प्रचार करने से पहले दस बार सोचेगा।क्योंकि भ्रामक प्रचार करने वाले सितारों को अब सज़ा मिलेगी। विज्ञापन को लेकर किए गए दावों के चलते उन्हें 50 लाख रुपये का जुर्माना और पांच साल तक की जेल की सजा हो सकती है। भ्रमित करने वाले विज्ञापनों और सितारों के प्रोडक्ट का एंडॉर्स करने की जिम्मेदारी तय करने के लिए बनाई गई संसदीय कमिटी की सिफारिशों को सरकार ने मान लिया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित आधिकारिक संसोधनों को सहमति दिए जाने के बाद कैबिनेट नोट का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इसके लिए कानून मंत्रालय ने भी पुराने कानूनों में बदलाव किया है। आने वाले सप्ताह में कैबिनेट बैठक में इन बदलावों को मंजूरी दी जा सकती है।
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खाद्य, उपभोक्ता मामलों और सार्वजनिक वितरण पर तेलुगुदेशम पार्टी के सांसद जेसी दिवाकर रेड्डी की अध्यक्षता वाली संसदीय कमिटी की ओर से अप्रेल में दी गई रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि नए कानून में एंडॉर्समेंट की साफ-सुथरी परिभाषा दी जाए। इसके बाद कानून मंत्रालय ने एंडॉर्समेंट और एंडॉर्सर को व्यक्तिगत, दल या किसी संस्थान से परिभाषित किया है। नए बिल की धारा 75बी के अनुसार किसी भी तरह का गलत या भ्रमित करने वाला एंडॉर्समेंट जो कि किसी ग्राहक के लिए हानिकारक हो, उसके लिए दो साल तक की जेल और 10 लाख रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है। ऐसी गलती दोबारा करने पर यह सजा 5 साल जेल और 50 लाख रुपये के जुर्माने के रूप में बढ़ाई जा सकती है। इस बिल के अनुसार खुद को निर्दोष साबित करने की जिम्मेदारी सेलेब्रिटी ब्रांड एम्बेसडर पर होगी।
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धारा 72ए उत्पादक और सेवा मुहैया कराने वाले को भी किसी तरह के गलत विज्ञापन पर दंडित करने का अधिकार देती है। प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार कोई अदालत केंद्रीय उपभोक्ता सुरक्षा प्राधिकरण की शिकायत के बाद ही संज्ञान ले सकती है। जल्द ही इसका गठन किया जाएगा। इसे पहले अपराध पर मामले को खत्म करने का अधिकार होगा लेकिन ब्रांड एम्बेसडर को ट्रायल कोर्ट की मुक्त कर सकेगी।
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