केंद्र सरकार ने मेरिटल रेप पर सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि एक पुरुष द्वारा पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना रेप नहीं है, बशर्ते उसकी उम्र 15 साल से कम ना हो। चीफ जस्टिस जी रोहिणी और जस्टिस संगीता धींगड़ा सहगल की बैंच के सामने सरकार ने एफिडेविड दायर किया। इसमें कहा गया, ”भारतीय दंड संहिता( आईपीसी) की धारा 375 के अपवाद 2 में पति-पत्नी के निजी मामलों को लेकर विशेष जिक्र दिया गया है। यह परंपरागत सामाजिक ताने-बाने पर निर्भर करता है इसलिए असंवैधानिक और संविधान की धारा 14 से 21 तक का उल्लंघन नहीं है।”
धारा 375 के अनुसार पति द्वारा 15 साल से बड़ी उम्र की पत्नी के साथ शारिरीक संबंध बनाना रेप के दायरे में नहीं आता। सरकार ने कोर्ट में कहा कि हालांकि सहमति से संबंध बनाने की उम्र 18 साल है और बाल विवाह से बचा जाना चाहिए लेकिन सामाजिक सच्चाई को देखते हुए कानून में वैध नहीं है। यह मानते हैं कि देश में सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक विकास समान नहीं है और बाल विवाह अब भी हो रहे हैं। सरकार की ओर से यह जवाब रीट फाउंडेशन नाम के एनजीओ की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिया गया है।
एनजीओ में याचिका के जरिए आईपीसी की धारा 375 को चुनौती दी थी। इसमें कहा गया था कि इसमें एक व्यक्ति के अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंधों को रेप नहीं माना गया है। याचिका के अनुसार इस कानून के अनुसार एक पति को राज्य द्वारा लाइसेंस मिलता है कि वह कानूनी रूप से विवाहित पत्नी की सेक्सुअल ऑटोनॉमी का उल्लंघन करे। यह संविधान की धारा 21 के तहत पत्नी के निजता के अधिकार का हनन है।