कश्मीर उरी में सेना के केंप पर हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाते हुए, भारत पाकिस्तान के साथ हवाई संपर्क तोड़ने पर विचार कर रहा है। एविएशन मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने हमसे दो मुद्दों के बीच दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय उड़ान समझौतों और हमारे एयर स्पेस से गुजरने वाली पाकिस्तानी एयरलाइंस पर जानकारियां मांगी हैं।
इस बारे में अंतिम फैसला पीएमओ के स्तर पर लिया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि जानकारियां तीन दिन पहले मांगी गई थीं। इस बारे में इकनॉमिक टाइम्स की ओर से पीएमओ को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला। भारत ने मंगलवार को कहा था कि वह इस्लामाबाद में नवंबर में होने वाले सार्क सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा। सरकार ने पड़ोसी देश के साथ सिंधु जल संधि की भी समीक्षा की है। इसके अलावा पाकिस्तान को दिए गए मोस्ट-फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस लेने पर भी विचार किया जा रहा है। भारत ने आतंकवादी हमलों के लिए पाकिस्तान को दोषी बताया है।
जबकि पाकिस्तान ने इन हमलों में अपनी भूमिका से इनकार किया है। अभी भारत की कोई एयरलाइन पाकिस्तान में किसी डेस्टिनेशन के लिए उड़ान नहीं भरती, लेकिन पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) भारत में एक सप्ताह में पांच बार उड़ान भरती है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझौतों के तहत भारत और पाकिस्तान की एयरलाइंस को एक दूसरे के देश में एक सप्ताह में 28 सर्विसेज ऑपरेट करने की अनुमति है।
भारत ने 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ हवाई संपर्क समाप्त कर दिया था। उस समय तत्कालीन इंडियन एयरलाइंस ने पाकिस्तान के लिए उड़ानें बंद कर दी थी। सरकार ने पाकिस्तानी एयरलाइंस पर भारतीय वायु सीमा का इस्तेमाल करने के लिए भी रोक लगा दी थी। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी भारतीय एयरलाइंस को प्रतिबंधित कर दिया था। एक एक्सपर्ट ने कहा कि इस तरह के कदम से पाकिस्तानी एयरलाइंस के मुकाबले भारतीय विमान कंपनियों को अधिक नुकसान होगा क्योंकि पश्चिम की ओर उड़ान भरने वाली भारतीय एयरलाइंस को पाकिस्तानी एयर स्पेस से बचने के लिए लंबे रूट का इस्तेमाल करना होगा।