भारत और रूस के बीच ये 5 बड़े समझौते रचेंगे ‘बुलंद भारत’ का इतिहास

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इस बार ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी भारत कर रहा है। ऐसे में इस सम्मेलन का आयोजन देश के सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल गोवा में हो रहा है। जहां आज भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन दोस्ती की नई इबारत लिखने जा रहे हैं। भारत और रूस के बीच आपसी सहयोग बढाने की दिशा में कई ऐसे कदम उठाए जाने वाले हैं, जो आने वाले वक्त में देश के लिए गेमचेंजर साबित हो सकते हैं। पीएम मोदी जब गोवा में रूस के राष्ट्रपति पुतिन की मेजबानी कर रहे होंगे, उस वक्त कई नए समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। चलिए ऐसे 5 समझौतों पर नज़र डालते हैं जिसपर सहमति बनने से भारत को बड़ी सफलता मिल सकती है।

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1- एस-400 ट्राइअम्फ: मिसाइल डिफेंस सिस्टम
लंबी रेंज की क्षमता वाले एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 ‘ट्राइअम्फ’ की खरीद के लिए दोनों देशों के बीच कई अरब डॉलर के करार पर हस्ताक्षर होंगे। भारत तीन प्रकार की मिसाइलों पर निशाना साधने में सक्षम पांच डिफेंस सिस्टम हासिल करने में दिलचस्पी रखता है। इसमें अपनी तरफ आ रहे दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और यहां तक कि ड्रोनों को 400 किलोमीटर तक के दायरे में मार गिराने की क्षमता है। अगर भारत समझौते पर हस्ताक्षर करता है तो यह चीन के बाद इस मिसाइल सिस्टम का दूसरा बड़ा ग्राहक होगा। एस-400 पहले केवल रूसी रक्षा बलों के लिए ही उपलब्ध था।

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2- ब्रह्मोस का मिनिएचर वर्जन: एलअोसी की सुरक्षा होगी मजबूत
भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल का छोटा वर्जन डिवेलप करने जा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि यह 300 किलोमीटर रेंज की क्रूज मिसाइल का बहुत ही छोटा वर्जन होगा। यह जमीन, सबमरीन और हवा में इस्तेमाल किया जा सकने वाला होगा। ब्रह्मोस का नया वर्जन इतना छोटा और सहूलियत वाला होगा कि इसका इस्तेमाल तीन लोगों की छोटी टीम भी कर सकेगी। इस हिसाब से यह दुश्मनों के लिए घातक हथियार साबित हो सकता है। तीन लोगों की टीम द्वारा दागी जा सकने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का एकदम छोटा वर्जन पूरी तरह इंडिपेंडेंट और पोर्टेबल होगा। यह आर्मी के बहुत काम आ सकता है, जिसे अक्सर नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की तरफ से होने वाली गोलीबारी का जवाब देना पड़ता है।

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3 – कामोव हेलिकॉप्टर: पुराने चेतक और चीता की लेंगे जगह
हल्के मिलिटरी चॉपर्स की नई सीरीज तैयार करने के लिए भारत के एचएएल और रूसी कामोव के बीच एक नए ज्वाइंट वेंचर को औपचारिक जामा पहनाया जाएगा। भारत और रूस ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत 1 बिलियन डॉलर लागत वाले 200 कामोव 226टी लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर्स के जॉइंट प्रोडक्शन पर समझौते को आखिरी रूप देंगे। ये हेलिकॉप्टर सेना के बेड़े में पुराने पड़ चुके चीता और चेतक हेलिकॉप्टरों की जगह लेंगे। रूस की भारत के लिए युद्धपोत बनाने के संबंध में समझौता करने की भी योजना है।

4- कूटनीतिक रिश्तों की बेहतरी पर भी जोर
पुतिन और मोदी की बातचीत के बाद दोनों नेता जॉइंट स्टेटमेंट जारी करेंगे, जो विभिन्न वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों को सुलझाने की दिशा में उनके साझा प्रयासों को झलकाएगा। दोनों पक्ष अपने कूटनीतिक संबंधों की स्थापना के 70 साल पूरे होने के मौके पर भविष्य के अपने कदमों के एक खाका को भी मंजूरी देंगे। पुतिन यह कह चुके हैं कि वह ड्रग्स, आतंकवाद और करप्शन के मुद्दे पर आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए कटिबद्ध हैं। वहीं, भारत को उम्मीद है कि दो प्रमुख संगठनों ब्रिक्स और बिम्सटेक के गोवा में होने वाले सम्मेलनों में पाकिस्तान को अलग-थलग किया जाएगा। इन देशों से आतंकवाद के खिलाफ सख्त बयान की उम्मीद है। भारत को उम्मीद है कि ब्रिक्स सम्मेलन में इस बात पर चर्चा होगी कि जो देश आतंकवादियों को पनाह देते हैं, उनसे कैसे निपटा जाए।

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5 – परमाणु क्षेत्र में सहयोग
पुतिन कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट के तीसरे और चौथे यूनिट का उद्घाटन कर सकते हैं। पुतिन के सहयोगी यूरी यूशकोव ने कहा कि परमाणु क्षेत्र में साझेदारी दोनों देशों के बीच सहयोग की धुरी होगी। पुतिन भी भारत को खास सामरिक साझेदार बता चुके हैं। परमाणु सहयोग के मुद्दे पर पुतिन ने कहा कि इसका दोनों देशों के आर्थिक साझेदारी में खास स्थान है। उन्होंने कहा कि जब कुडनकुलम प्लांट के सभी यूनिट पूरी क्षमता के साथ काम करने लगेंगे तो भारत में ऊर्जा की सप्लाई बढ़ेगी और ऊर्जा के क्षेत्र में सुरक्षा मजबूत होगी।