नई दिल्ली। आतंकवाद के खिलाफ एक सुर में आवाज बुलंद करते हुए भारत और रूस ने बुधवार(26 अक्टूबर) को कहा कि ‘दोहरे मापदंडों’ से इस समस्या को पराजित नहीं किया जा सकता और आतंकवाद को पराजित करने के लिए ‘बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति अपनाने और सामूहिक प्रयास की जरूरत है।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपने रूसी समकक्ष सेर्गई शोइगू के साथ विस्तृत बैठक की जिस दौरान आतंकवाद के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। पर्रिकर ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस भारत का समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला और नजदीकी साझेदार है तथा वह प्रमुख रक्षा साझेदार बना रहेगा। उन्होंने सैन्य तकनीक सहयोग पर भारतीय-रूसी अंतर सरकारी आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता की।
पर्रिकर ने कहा कि ‘‘भारत के सामने एक प्रमुख सुरक्षा चुनौती सीमा पार आतंकवाद है। हम इस समस्या को खत्म करने के लिए भारत के प्रयासों में मिल रहे रूस के निरंतर और ठोस सहयोग की सरहाना करते हैं। आतंकवाद भारत के पड़ोस में आतंकी समूहों की निरंतर उपस्थिति का प्रकटीकरण है।’’
रक्षा मंत्री ने कहा कि रूस ने पश्चिम एशिया में आतंकवाद को खत्म करने के प्रयासें में सक्रियता से भाग लिया है। रूसी रक्षा मंत्री शोइगू ने कहा कि ‘‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के संदर्भ में जो बात निश्चित तौर पर अस्वीकार्य है वो दोहरे मापदंड अथवा कई बार तिहरे मापदंड हैं।
शोइगू ने कहा कि 21वीं सदी की इस बुराई से लड़ने के लिए सभी उचित शक्तियों की ठोस एकजुटता जरूरी है। उन्होंने आतंकवादियों और उदारवादी विरोधियों के बीच अंतर किए जाने की उस समस्या की ओर भी इशारा किया, जिसने सीरिया में रूस और अमेरिका के बीच सहयोग में अवरोध पैदा किया है।