नई दिल्ली। केंद्र सरकार 16 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में लगभग 150 साल पुराने ईसाई तलाक कानून में बदलाव के लिए विधेयक ला सकती है। खुद ईसाई समुदाय की ओर से कानून में बदलाव की मांग को देखते हुए यह विधेयक लाया जा रहा है।
सरकार ने तलाक (संशोधन) विधेयक, 2016 को 16 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में होने वाले सरकार के विधायी और वित्तीय कामकाज की संभावित सूची में रखा है। हालांकि, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ईसाई समाज में विवाहों से संबंधित कानून के प्रावधानों में संशोधन के प्रस्ताव को अभी मंजूर नहीं किया है।
विधि मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक, आपसी सहमति से तलाक के लिए आवेदन दाखिल करने वाले ईसाई दंपतियों को आवेदन दाखिल करने से पहले अलग-अलग रहने की अवधि को मौजूदा दो साल से कम करके एक साल करने के लिए तलाक अधिनियम, 1869 में संशोधन किया जाएगा।
तलाक अधिनियम की धारा 10 ए (1) को 2001 में एक संशोधन के साथ जोड़ा गया था, जिसके मुताबिक तलाक चाहने वाले दंपति को ‘दो साल या उससे ज्यादा’ समय तक अलग रहना चाहिए।