नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने रविवार(20 नवंबर) को कहा कि विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को केंद्र के नियंत्रण में न लेकर तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने घातक राजनीतिक गलती की थी। जबकि उनके पास इस बात के पहले से सुबूत थे कि ढांचे पर खतरा मंडरा रहा है।
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि राव के इसी गलत निर्णय से इतनी बड़ी घटना हुई। वह इस घटना को केवल फैसला लेने में हुई गलती नहीं मानते हैं। इसी के बाद प्रधानमंत्री राव ने अपना विश्वास गंवा दिया और पार्टी में भी अपनी छवि खराब कर ली थी।
उन्होंने एक लाइव फेस्टिवल’ में ‘नरसिंह राव: द फॉरगॉटेन हीरो’ पर परिचर्चा के दौरान कहा कि कई लोगों ने नरसिंह राव को चेतावनी दी थी कि मस्जिद को खतरा है।
चिदंबरम ने कहा कि हमारी सरकार ने एक बयान जारी किया था कि किसी भी परिस्थिति में हम मस्जिद को ध्वस्त करने की इजाजत नहीं देंगे। अगर जरूरत पड़ी तो हम सेना को भी तैनात करेंगे।
उन्होंने कहा कि मस्जिद को खतरा अचानक नहीं था और न तो कारसेवकों की तरफ से यह स्वत: कार्रवाई थी। रामेश्वरम से पत्थर लाए जा रहे थे और वे ट्रेन से यात्रा कर रहे थे।
कांग्रेसी नेता ने कहा कि समूची ट्रेन को बुक किया जा रहा था। हर कोई जानता था कि लाखों लोग जुटेंगे। बाबरी मस्जिद को असली खतरा था, जो वहां कम से कम 1987-88 से था।
चिदंबरम ने कहा कि राव को सेना को बढ़ाना चाहिए था और इसे बिल्कुल स्पष्ट करना चाहिए था कि बाबरी मस्जिद क्षेत्र केंद्र सरकार के नियंत्रण में है।