पिछले 15 दिनों से नोटबंदी को लेकर देशभर में उथल-पुथल का माहौल है। कहीं सरकार के इस फैसले का समर्थन है तो कहीं इसका विरोध चल रहा है। पिछले 15 दिनों में दो बार ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और आज फिर देश की सबसे बड़ी अदालत में इसकी सुनवाई है।
नोटबंदी को लेकर देश के अलग-अलग हाई कोर्ट में दर्ज मुकदमों की एक साथ सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। केंद्र सरकार की तरफ से दाखिल अर्ज़ी में सभी मुकदमों को सुप्रीम कोर्ट या किसी एक हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 18 नवंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि बैंकों और डाकघरों के बाहर जनता की लंबी लाइनें गंभीर मामला है। साथ ही केन्द्र सरकार से जवाब भी मांगा था कि इन लाइनों को कम करने के लिए आप क्या कदम उठा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार के इस अनुरोध से असहमति व्यक्त की थी जिसमें यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि पांच सौ और एक हजार रूपए के नोटों को बंद करने संबंधी आठ नवंबर की अधिसूचना को चुनौती देने वाली किसी भी याचिका पर देश में किसी भी अदालत को विचार नहीं करना चाहिए।
कोर्ट ने यह टिप्पणी उस वक्त की थी जब अटार्नी जनरल ने कहा था कि नोटबंदी को चुनौती देने संबंधी सभी मामलों पर सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को ही सुनवाई करनी चाहिए। इन याचिकाओं में केन्द्र को एटीएम मशीनों मंे पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करने का भी निर्देश देने देने की मांग की गई।
पुराने करेंसी नोटों के प्रयोग से जुड़े मुद्दे मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ के सामने रखे गये। पीठ ने केन्द्र की उस याचिका पर उच्चतम न्यायालय में कल की सुनवाई होने तक इंतजार करने का फैसला किया, जिसमें नोटबंदी पर देशभर में सभी मामलों को शीर्ष अदालत में या किसी एक उच्च न्यायालय में स्थानान्तरित करने की मांग की गई थी।
2000 के नए नोट रुकवाने के लिए भी सुनवाई आज
इसके साथ ही 2000 के नए नोट जो हाल ही रिजर्व बैंक ने जारी किए थे, उनपर पाबंदी लगाने को लेकर भी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी, याचिका में कहा गया है कि इस नोट को खुलाने में काफी दिक्कतें आ रही है, इस लिहाज से ये जनता के लिए काफी परेशानी भरा साबित हो रहा है। वहीं इसकी फोटोस्टेट और स्केनिंग का काम भी बड़े पैमाने पर चल रहा है जिससे अबतक कई लोगों को चूना लगाया जा चुका है।